वैष्णव भजन  »  तिलक मंत्र
 
 
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ಲಲಾಟೇ ಕೇಶವಂ ಧ್ಯಾಯೇನ್ ನಾರಾಯಣಮಥೋದರೇ
ವಕ್ಷಃಸ್ಥಲೇ ಮಾಧವಂ ತು ಗೋವಿನ್ದಂ ಕಣ್ಠಕೂಪಕೇ॥1॥
 
 
ವಿಷ್ಣುಂ ಚ ದಕ್ಷಿಣೇ ಕುಕ್ಷೌ ಬಾಹೌ ಚ ಮಧುಸೂದನಮ್
ತ್ರಿವಿಕ್ರಮಂ ಕನ್ಧರೇ ತು ವಾಮನಂ ವಾಮಪಾರ್ಶ್ವಕೇ॥2॥
 
 
ಶ್ರೀಧರಂ ವಾಮಬಾಹೌ ತು ಹೃಷೀಕೇಶಂ ತು ಕನ್ಧರೇ
ಪೃಷ್ಠೇ ಚ ಪದ್ಮನಾಭಂ ಚ ಕಟಯಾಂ ದಾಮೋದರಂ ನ್ಯಸೇತ್॥3॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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