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ଗୌରାଙ୍ଗ ତୁମି ମୋରେ  |
ଶ୍ରୀଲ ଵାସୁଦେଵ ଘୋଷ |
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ଗୌରାଙ୍ଗ ତୁମି ମୋରେ ଦଯା ନା ଛାଡିହୋ
ଆପନ କରିଯା ରାଂଗା ଚରଣେ ରାଖିହୋ॥1॥ |
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ତୋମାର ଚରଣ ଲାଗି ସବ ତେଯଗିଲୁ
ଶୀତଲ ଚରଣ ପାଯା ଶରଣ ଲୋଇଲୁ॥2॥ |
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ଏଇ କୁଲେ ଓ କୁଲେ ମୁଞୀ ଦିଲୁ ତିଲାଞ୍ଜଲି
ରାଖିହୋ ଚରଣେ ମୋରେ ଆପନାର ବୋଲୀ॥3॥ |
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ଵାସୁଦେଵ ଘୋଷେ ବୋଲେ ଚରଣେ ଧରିଯା।
କୃପା କରୀ ରାଖୋ ମୋରେ ପଦ-ଛାଯା ଦିଯା॥4॥ |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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