वैष्णव भजन  »  ओहे! वैष्णव ठाकुर दयार सागर
 
 
শ্রীল ভক্তিবিনোদ ঠাকুর       
भाषा: हिन्दी | English | தமிழ் | ಕನ್ನಡ | മലയാളം | తెలుగు | ગુજરાતી | বাংলা | ଓଡ଼ିଆ | ਗੁਰਮੁਖੀ |
 
 
ওহে!
বৈষ্ণব ঠাকুর, দযার সাগর,
এ-দাসে করুণা করি’।
দিযা পদছাযা, শোধ হে আমায,
তোমার চরণ ধরি॥1॥
 
 
ছয বেগ দমি’, ছয দোষ শোধি’,
ছয গুণ দেহ দাসে।
ছয সত্সংগ, দেহ’ হে আমায,
বসেছি সংগের আশে॥2॥
 
 
একাকী আমার, নাহি পায বল,
হরি-নাম সংকীর্তনে।
তুমি কৃপা করি, শ্রদ্ধা-বিন্দু দিযা,
দেহ’ কৃষ্ণ-নাম-ধনে॥3॥
 
 
কৃষ্ণ সে তোমার কৃষ্ণ দিতে পার,
তোমার শকতি আছে।
আমি ত’ কাংগাল, ‘কৃষ্ণ’ ‘কৃষ্ণ’ বলি’,
ধাই তব পাছে পাছে॥4॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.