वैष्णव भजन  »  निज कर्म दोष फले
 
 
শ্রীল ভক্তিবিনোদ ঠাকুর       
भाषा: हिन्दी | English | தமிழ் | ಕನ್ನಡ | മലയാളം | తెలుగు | ગુજરાતી | বাংলা | ଓଡ଼ିଆ | ਗੁਰਮੁਖੀ |
 
 
হরি হে!
নিজ কর্ম দোষ ফলে, পদি ভবার্ণব জলে,
হবুডুবূ খার্ই কতকাল
সাঁতরি সাঁতরি জাই, সিংধু অংত নাহি পাই,
ভবসিংধু অনংত বিশাল॥1॥
 
 
নিমগ্ হোইনু জবে, ডাকিনু কাতর রবে,
কেহ মোরে করহো উদ্ধার
সের্ই কালে আইলে তুমি, তোম জ্ঞানি’ কুলভুমি,
আশাবীজ হোইলো আমার॥2॥
 
 
তুমি হরি দযাময, পাইলে মোরে সুনিশ্চয,
সর্বোত্তম দযার বিষয
তোমাকে না ছাডি’ আর, এ ভক্তিবিনোদ ছার,
দযাপাত্রে পাইলে দযাময॥3॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.