वैष्णव भजन  »  वृन्दावन रम्यस्थान
 
 
শ্রীল নরোত্তমদাস ঠাকুর       
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বৃন্দাবন রম্যস্থান, দিবয চিন্তামণিধাম,
রতন-মন্দির মনোহর।
আবৃত কালিন্দী-নীরে, রাজহংস কেলি করে,
তাহে শোভে কনক-কমল॥1॥
 
 
তার মধ্যে হেমপীঠ, অষ্টদলে বেষ্টিত,
অষ্টদলে প্রধান নাযিকা।
তার মধ্যে রত্নাসনে, বসি’আছেন দুইজনে,
শ্যাম-সঙ্গে সুন্দরী রাধিকা॥2॥
 
 
ও রূপ- লাবণ্যরাশি, অমিয পড়িছে খসি’,
হাস্য-পরিহাস-সম্ভাষণে।
নরোত্তমদাস কয, নিত্যলীলা সুখময,
সদাই স্ফুরুক মোর মনে॥3॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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