वैष्णव भजन  »  जे आनिल प्रेमधन
 
 
ଶ୍ରୀଲ ନରୋତ୍ତମଦାସ ଠାକୁର       
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ଜେ ଆନିଲ ପ୍ରେମଧନ କରୁଣା ପ୍ରଚୁର।
ହେନ ପ୍ରଭୁ କୋଥା ଗେଲା ଅଚାର୍ଯ ଠାକୁର॥1॥
 
 
କାଁହା ମୋର ସ୍ଵରୂପ-ରୂପ, କାଁହା ସନାତନ?
କାଁହା ଦାସ-ରଘୁନାଥ ପତିତପାଵନ?॥2॥
 
 
କାଁହା ମୋର ଭଟ୍‌ଟଯୁଗ, କାଁହା କଵିରାଜ?
ଏକ କାଲେ କୋଥା ଗେଲା ଗୋରା ନଟରାଜ?॥3॥
 
 
ପାଷାଣେ କୁଟିବୋ ମାଥା, ଅନଲେ ପଶିବ।
ଗୌରାଂଙ୍ଗ ଗୁଣେର ନିଧି କୋଥା ଗେଲେ ପାବ?॥4॥
 
 
ସେ ସବ ସଂଗୀର ସଂଗେ ଜେ କୈଲ ଵିଲାସ।
ସେ ସଂଗ ନା ପାଇଯା କାନ୍ଦେ ନରୋତ୍ତମଦାସ॥5॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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