वैष्णव भजन  »  हरि हे दयाल मोर
 
 
అజ్ఞాతకృత       
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హరి హే దయాల మోర జయ రాధా-నాథ।
బారో బారో ఏఇ-బారో లహ నిజ-సాథ॥1॥
 
 
బహు యోనీ భ్రమి’ నాథ! లోఇను శరణ।
నిజ-గుణే కృపా కర’ అధమ-తారణ॥2॥
 
 
జగత-కారణ తుమి జగత-జీవన।
తోమా ఛాड़ా కేఽనాహి హే రాధా-రమణ॥3॥
 
 
భువన-మఙ్గల తుమి భువనేర పతి।
తుమి ఉపేక్షిలే నాథ, కి హోఇబే గతి॥4॥
 
 
భావియా దేఖిను ఏఇ జగత-మాఝారే।
తోమా బినా కేహ నాహి ఏ దాసే ఉద్ధారే॥5॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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