वैष्णव भजन  »  कृष्ण जिनका नाम है
 
 
ଅଜ୍ଞାତକୃତ       
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କୃଷ୍ଣ ଜିନକା ନାମ ହୈ, ଗୋକୁଲ ଜିନକା ଧାମ ହୈ।
ଐସେ ଶ୍ରୀଭଗଵାନ୍‌ କୋ ବାରମ୍ବାର ପ୍ରଣାମ ହୈ॥1॥
 
 
ଯଶୋଦା ଜିନକୀ ମୈଯା ହୈ, ନନ୍ଦାଜୀ ବାପୈଯା ହୈ।
ଐସେ ଶ୍ରୀ ଗୋପାଲ କୋ ବାରମ୍ବାର ପ୍ରଣାମ ହୈ॥2॥
 
 
ରାଧା ଜିନକୀ ଛାଯା ହୈ, ଅଦ୍‌ଭୁତ ଜିନକୀ ମାଯା ହୈ।
ଏସେ ଶ୍ରୀ ଘନଶ୍ଯାମ କୋ ବାରମ୍ବାର ପ୍ରଣାମ ହୈ। ॥3॥
 
 
ଲୁଟଲୁଟ ଦଧି ମାଖନ ଖାଯୋ, ଗ୍ଵାଲ ବାଲ ସଂଗ ଧେନୁ ଚରାଯୋ।
ଏସେ ଲୀଲାଧାମ କୋ ବାରମ୍ବର ପ୍ରଣାମ ହୈ॥4॥
 
 
ଦ୍ରୁପଦ-ସୁତା କୀ ଲାଜ ବଚାଯୋ, ଗ୍ରହ ସେ ଗଜକୋ ଫଂଦ ଛୁଡାଯୋ।
ଏସେ କୃପାଧାମ କୋ ବାରମ୍ବାର ପ୍ରଣାମ ହୈ॥5॥
 
 
କୁରୁ ପାଂଡଵ ମେଂ ଯୁଦ୍ଧ ମଚାଯୋଂ ଅର୍ଜୁନ କୋ ଉପଦେଶ ସୁନାଯୋ।
ଐସେ ଶ୍ରୀ ଭଗଵାନ କୋ ବାରମ୍ବାର ପ୍ରଣାମ ହୈ॥6॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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