वैष्णव भजन  »  कृष्ण देव भवन्तम्‌ वन्दे
 
 
ଶ୍ରୀଲ ରୂପ ଗୋସ୍ଵାମୀ       
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(ଟେକ) କୃଷ୍ଣ ଦେଵ ଭଵନ୍ତମ୍‌ ଵନ୍ଦେ।
ମନ-ମାନସ-ମଧୁକରମ୍‌ ଅର୍ପଯା ନିଜ-ପଦ-ପଙ୍କଜ-ମକରନ୍ଦେ॥
 
 
ଯଦି ଅପି ସିମାଧିଷୁ ଵିଧିରପି ପଶ୍ଯତି
ନ ତଵ ନଖାଗ୍ରମରୀଚିମ୍।
ଇଦଂ ଇଚ୍ଛାମି ନିଶମ୍ଯ ତଵାଚ୍ଯୁତ
ତଦପି କୃପାଦ୍ଭୁତଵୀଚିମ୍॥1॥
 
 
ଭକ୍ତିରୁଦ ଞ୍ଚତି ଯଦ୍ଯପି ମାଧଵ
ନ ତ୍ଵଯି ମମ ତିଲମାତ୍ରୀ।
ପରମେଶ୍ଵରତା ତଦପି ତଵାଧିକ
ଦୁର୍ଘଟ-ଘଟନ-ଵିଧାତ୍ରୀ॥2॥
 
 
ଅଯଂ ଅଵିଲୋଲତଯାଦ୍ଯ ସନାତନ
କଲିତାଦ୍ଭୁତ-ରସ-ଭାରମ୍।
ନିଵସତୁ ନିତ୍ଯମିହାମୃତ ନିନ୍ଦତି
ଵିନ୍ଦଂ ମଧୁରିମା-ସାରମ୍॥3॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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