वैष्णव भजन  »  परमानंद हे माधव
 
 
জগন্নাথ দাস       
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পরমানংদ হে মাধব
পদুন্‌গলুচি মকরন্দ॥1॥
 
 
সে মকরন্দ পান-করি
আনন্দে বোলো হরি-হরি॥2॥
 
 
হরিংক নামে বান্দ বেলা
পারি করিবে চকা-ডোলা॥3॥
 
 
সে-চকা- ডোলাংক-পাযারে
মন-মো রহূ নিরন্তরে॥4॥
 
 
মন মো নিরন্তরে রহূ
‘হা কৃষ্ণ’ বোলি জাবূ জীব
মোতে উদ্ধার রাধা-ধব॥5॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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