वैष्णव भजन  »  प्रसाद सेवा (प्रसाद ग्रहण हेतु प्रार्थना)
 
 
ଶ୍ରୀଲ ଭକ୍ତିଵିନୋଦ ଠାକୁର       
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ମହାପ୍ରସାଦେ ଗୋଵିନ୍ଦେ, ନାମ-ବ୍ରହ୍ମଣି ଵୈଷ୍ଣଵେ।
ସ୍ଵଲ୍ପପୁଣ୍ଯଵତାଂ ରାଜନ୍‌ ଵିଶ୍ଵାସୋ ନୈଵ ଜାଯତେ॥1॥[ମହାଭାରତ]
ଶରୀର ଅଵିଦ୍ଯା ଜାଲ, ଜଡେନ୍ଦ୍ରିଯ ତାହେ କାଲ,
ଜୀଵେ ଫେଲେ ଵିଷଯ-ସାଗରେ।
ତାରମଧ୍ଯେ ଜିହ୍ଵା ଅତି, ଲୋଭମଯ ସୁଦୁର୍ମତି,
ତାକେ ଜେତା କଠିନ ସଂସାରେ॥2॥
 
 
କୃଷ୍ଣ ବଡ ଦଯାମଯ, କରିବାରେ ଜିହ୍ଵା ଜଯ,
ସ୍ଵପ୍ରସାଦ-ଅନ୍ନ ଦିଲୋ ଭାଈ।
ସେଇ ଅନ୍ନାମୃତ ପାଓ, ରାଧାକୃଷ୍ଣ-ଗୁଣ ଗାଓ,
ପ୍ରେମେ ଡାକ ଚୈତନ୍ଯ-ନିତାଈ॥3॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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