वैष्णव भजन  »  नदिया-गोद्रुमे
 
 
ଶ୍ରୀଲ ଭକ୍ତିଵିନୋଦ ଠାକୁର       
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ନଦିଯା-ଗୋଦ୍ରୁମେ ନିତ୍ଯାନନ୍ଦ ମହାଜନ
ପାତିଯାଛେ ନାମ-ହଟ୍ଟ ଜୀଵେର କାରଣ॥1॥
 
 
(ଶ୍ରଦ୍ଧାଵାନ ଜନ ହେ, ଶ୍ରଦ୍ଧାଵାନ ଜନ ହେ)
ପ୍ରଭୁର ଅଜ୍ଞାଯ, ଭାଇ, ମାଗି ଏଇ ଭିକ୍ଷା
ବୋଲୋ ‘କୃଷ୍ଣ, ‘ଭଜକୃଷ୍ଣ, କର କୃଷ୍ଣ-ଶିକ୍ଷା॥2॥
 
 
ଅପରାଧ-ଶୂନ୍ଯ ହ’ଯେ ଲହ କୃଷ୍ଣ-ନାମ
କୃଷ୍ଣ ମାତା, କୃଷ୍ଣ ପିତା, କୃଷ୍ଣ ଧନ-ପ୍ରାଣ॥3॥
 
 
କୃଷ୍ଣେର ସଂସାର କର ଛାଡି’ ଅନାଚାର।
ଜୀଵେ ଦଯା, କୃଷ୍ଣ-ନାମ ସର୍ଵ ଧର୍ମ-ସାର॥4॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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