वैष्णव भजन  »  शुनियाछि साधु मुखे बले
 
 
শ্রীল নরোত্তমদাস ঠাকুর       
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শুনিযাছি সাধু মুখে বলে সর্বজন
শ্রীরূপ কৃপায মিলে যুগল চরণ॥1॥
 
 
হা! হা! প্রভু সনাতন গৌর পরিবার
সবে মিলি’ বাংচ্ছা পূর্ণ করহ আমার॥2॥
 
 
শ্রীরূপের কৃপা যেন আমার প্রতি হয
সে পদ আশ্রয যার সের্ই মহাশয॥3॥
 
 
প্রভু লোকনাথ কবে সংগে লইযা যাবে
শ্রীরূপের পাদপদ্মে মোরে সমর্পিবে॥4॥
 
 
হেন কি হইবে মোর – নর্ম সখীগণে
অনুগত নরোত্তমে করিবে শাসনে॥5॥
 
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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