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श्रील भक्तिविनोद ठाकुर प्रणति  |
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नमो भक्तिविनोदाय सच्चिदानन्द-नामिने।
गौर-शक्ति-स्वरूपाय रूपानुग-वराय ते॥ |
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शब्दार्थ |
मैं उन सच्चिदानंद भक्तिविनोद ठाकुर को सादर नमन करता हूँ, जो गौरांग महाप्रभु की शक्ति का स्वरूप हैं तथा श्रील रूप गोस्वामी के नेतृत्व गत सभी गोस्वामियों के अनुयायी हैं। |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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