|
|
|
श्रील गौरकिशोर प्रणति  |
भाषा: हिन्दी | English | தமிழ் | ಕನ್ನಡ | മലയാളം | తెలుగు | ગુજરાતી | বাংলা | ଓଡ଼ିଆ | ਗੁਰਮੁਖੀ | |
|
|
नमो गौरकिशोराय साक्षाद्वैराग्य मूर्तये।
विप्रलम्भ-रसाम्भोधे पादाम्बुजाय ते नमः॥ |
|
|
शब्दार्थ |
मैं गौरकिशोर दास बाबाजी के चरणकमलों में सादर नमन करता हूँ, जो साक्षात वैराग्य की मूर्ति हैं, एवं कृष्ण के प्रगाढ़ प्रेम व विरह भाव में ही सदा निमग्न रहते हैं। |
|
|
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
|
|
|