वैष्णव भजन  »  अंतर मंदिरे जागो जागो
 
 
मीरा बाई       
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(टेक) अंतर मंदिरे जागो जागो।
माधव कृष्ण गोपाल (धृ)॥
 
 
नव-अरुण-सम
जागो हृदये मम।
सुंदर गिरिधारी-लाल
माधव कृष्ण गोपाल॥1॥
 
 
नयने घनाये बेतारि बादल
जागो जागो तुमि किशोर श्यामल
श्रीराधा-प्रियतम जागो हृदये मम
जागो हे घोष्टेर राखाल॥2॥
 
 
माधव कृष्ण गोपाल...
यशोदा दुलाल एसो एसो नानि-चोर
प्राणेर देवता एसो हे किशोर
लय राधा बामे हृदि व्रज धामे
एसो हे ब्रजेर राखाल॥3॥
 
 
माधव कृष्ण गोपाल...
 
 
कृपया जागो, कृपया मेरे हृदय के मन्दिर में जागो, हे माधव! हे कृष्ण! हे गोपाल!
 
 
(1) हे सुन्दर! हे अतिप्रिय गिरधारीलाल! नवीन सूर्योदय के समान उल्लसित व प्रसन्नतापूर्वक चमकते हुए मेरे हृदय में, कृपया जागो।
 
 
(2) वर्षाऋतु की मूसलाधार वर्षा के समान, मेरे नेत्रों से, अश्रुओं की धारा बह रही है। कृपया जागो, कृपया जागो, हे तरुण किशोर! हे साँवले श्यामल! हे श्री राधा के अतिप्रिय प्रियतम, कृपया मेरे हृदय में जागो! कृपया जागो, हे ग्वालों के पालनकर्त्ता।
 
 
(3) हे यशोदा के परमप्रिय! आओ, कृपया आ जाओ, हे माखन चोर! हे मेरे प्राण नाथ! कृपया आओ, हे तरुण बालक, व्रज के धाम में राधा जी को अपनी बायी ओर प्रकट करके, कृपया मेरे हृदय के अन्दर आ जाओ हे व्रज के रक्षक।
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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