वैष्णव भजन  »  मदनमोहन तनु गौरांग सुंदर
 
 
श्रील वृन्दावन दास ठाकुर       
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मदनमोहन तनु गौरांग सुंदर
ललाटे तिलक सोभा उर्ध्व मनोहर॥1॥
 
 
त्रिकच्छ वसन सोभे कुटिल कुन्तल
प्रर्क्त नयन दुइ परम चंचल॥2॥
 
 
सुक्लयज्ञसुत्र सोभे बेडिय शरिरे
सुक्ष्मरुपे अनन्त जे हेन कलेवरे॥3॥
 
 
अधरे ताम्बुल हासे अधर चापिय
जांग वृंदावनदास से रुप निछिय॥4॥
 
 
अर्थ / अनुवाद केवल अंग्रेजी में उपलब्ध है।
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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