वैष्णव भजन  »  श्री युगल आरती
 
 
श्रील भक्तिविनोद ठाकुर       
भाषा: हिन्दी | English | தமிழ் | ಕನ್ನಡ | മലയാളം | తెలుగు | ગુજરાતી | বাংলা | ଓଡ଼ିଆ | ਗੁਰਮੁਖੀ |
 
 
जय जय राधाकृष्ण युगल-मिलन।
आरति करये ललितादि सखीगण॥1॥
 
 
मदन-मोहन रूप त्रिभङ्ग सुंदर।
पीताम्बर शिखिपुच्छ चूड़ा मनोहर॥2॥
 
 
ललित माधव-वामे वृषभानू, कन्या।
(सु)नील-वसना गौरी रूपे गुणे धन्या॥3॥
 
 
नानाविध अलंकार करे झलमल।
हरिमन-विमोहन बदन उज्ज्वल॥4॥
 
 
विशाखादि सखीजन नाना रागे गाये।
प्रियनर्म सखीजत चामर ढुलाय॥5॥
 
 
श्रीराधा-माधव-पद सरसिज आशे।
भक्तिविनोद सखी, पदे सुखे भासे॥6॥
 
 
(1) दिवय युगल जोड़ी, श्रीश्री राधा-कृष्ण के मिलन की जय हो, जय हो! गोपियाँ, श्रीललिता जी के नेतृत्व में, अपने अधिपतियों की आरती कर रही हैं।
 
 
(2) श्रीकृष्ण का सुन्दर त्रिभंग रूप, कामदेव के मन को भी आकर्षित कर मोह लेता है। वे पीले सिल्क के वस्त्र धारण किए हुए हैं, तथा उनका मनमोहक मुकुट मोर के पंखों से सुसज्जित है।
 
 
(3) मनोहारी, आकर्षक भगवान्‌ माधव की बाईं ओर, वृषभानुजी की पुत्री श्रीराधा रानी विराजमान हैं। वे नीले रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं। उनका गौर वर्ण वाला सौन्दर्य और उनके गुण एकदम महान हैं।
 
 
(4) गोपियाँ, विशाखा जी के नेतृत्व में, अपने अधिपतियों, अपने भगवान की महिमा का, विभिन्न सुरों में गुणगान कर रहीं हैं, और प्रिय नर्म गोपियाँ उन्हें चँवर ढुला रही हैं।
 
 
(5) राधाजी विभिन्न प्रकार के चमकते आभूषणों से अलंकृत हैं तथा उनका आकर्षक उज्जवल मुख, भगवान्‌ हरि के मन को मोह लेता है।
 
 
(6) श्रीश्री राधा-माधव के चरण कमलों को प्राप्त करने की आकांक्षा से श्रील भक्तिविनोद ठाकुर, गोपियों के चरण कमलों में, प्रेमानन्द की लहरों पर तैर रहे हैं।
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.