|
|
|
श्री नृसिंह प्रणाम  |
भाषा: हिन्दी | English | தமிழ் | ಕನ್ನಡ | മലയാളം | తెలుగు | ગુજરાતી | বাংলা | ଓଡ଼ିଆ | ਗੁਰਮੁਖੀ | |
|
|
नमस्ते नरसिंहाय
प्रह्लादह्लाद दायिने।
हिरण्यकशिपोर्वक्षः
शिलाटंक नखालये॥1॥ |
|
|
इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो
यतो यतो यामि ततो नृसिंहः।
बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो
नृसिंहमादि शरणं प्रपद्ये॥2॥ |
|
|
शब्दार्थ |
(1) मैं नृसिंह भगवान् को प्रणाम करता हूँ जो प्रह्लाद महाराज को आनन्द प्रदान करने वाले हैं तथा जिनके नख दैत्यराज हिरण्यकशिपु के पाषाण सदृश वक्षस्थल के ऊपर छेनी के समान हैं। |
|
|
(2) नृसिंह भगवान् यहाँ है और वहाँ भी हैं। मैं जहाँ कहीं भी जाता हॅूँ वहाँ नृसिंह भगवान् हैं। वे हृदय में हैं और बाहर भी हैं। मैं नृसिंह भगवान् की शरण लेता हूँ जो समस्त पदार्थों के स्रोत तथा परम आश्रय हैं। |
|
|
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
|
|
|