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श्री अभिद्येयाधिदेव प्रणाम  |
भाषा: हिन्दी | English | தமிழ் | ಕನ್ನಡ | മലയാളം | తెలుగు | ગુજરાતી | বাংলা | ଓଡ଼ିଆ | ਗੁਰਮੁਖੀ | |
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दिवयद्वृन्दारण्य कल्पद्रुमाधः।
श्रीमद्रत्नागार सिंहासनस्थौ।
श्रीमद्राधा श्रीलगोविन्ददेवौ
प्रेष्ठालीभिः सेवयमानौ स्मरामि॥ |
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शब्दार्थ |
परमशोभामय श्रीवृन्दावन में कल्पवृक्ष के नीचे, परमसुन्दर रत्नों के द्वारा बने हुए भवन में, मणिमय सिंहासन पर विराजमान, एवं अपनी अतिशय प्रिय श्रीललिता-विशाखा आदि सखियों के द्वारा प्रतिक्षण जिनकी सेवा होती रहती हैं, मैं उन श्रीमती राधिका एवं श्रीमान् गोविन्ददेवजी का स्मरण करता हूँ। |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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