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श्री वैष्णव प्रणाम  |
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वाञ्छा-कल्पतरुभ्यश्च कृपा-सिन्धुभ्य एव च।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नमः॥ |
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शब्दार्थ |
मैं भगवान् के उन समस्त वैष्णव भक्तों को सादर नमस्कार करता हूँ जो सबकी इच्छा को पूर्ण करने में कल्पतरू के समान हैं, दया के सागर हैं तथा पतितों का उद्धार करने वाले हैं। |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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