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इसलिए भगवान साम ये चैतन्य महापुरु रुख्षा है, ये शास्मे विधार हाया कि कलो परिकीतना चैतन्य महापुरु, तिशावन्यम, कृष्णवन्यम, अकृष्ण,
शांग पार्णास्त पार्शदं जग्ञी शंकीतने प्राये जजन्ते ही सुमेद शास्मे है, विधार, जो करिजुद में जो भगवान की जो मूर्की, जो चैतन्य महापुरु वो, जो आपका सामने है, केवल हरीजीतन करके, जैसा ये लोग आपको दिखाया, जो चैतन्य मह
दिखाया है, उसी को अनुश्रण करते हैं, हम लोग चैतन्य संप्रदार, तो करिजुद इतना मूर्क हो गया, पहली ही मता है, जो धर्म फर्म कुछ नहीं जानते हैं, साब भुल गया, इसलिए उनको जगाने के लिए एक एक मात्र उपा है, कीतरालेव कृष्णस्या मुक
अपरंधाम में चले जाएगी, तो इसका नाम है धर्म, तो करिजुद में यह सब आदमीं अत्तंत प्रतीत होने का कारण, यह भगवान कृष्ण नाम से, कृष्ण सायं कृष्ण कृष्ण नाम से अवतार होता है, इसको आप लग्रहन कीजिए सुझे जाएगी, कलो नास्
जी जदी आप लोग कृष्ण नाम ग्रहन करेंगे, तो केवल यही हरी कृष्ण नाम से ही आप पवित्र हो जाएगे, आपको चीत दर्पन मार्जनम, सरी मन में जो जितना गर्दे हैं, वो सब शाप हो जाएगा, चीत दर्पन, फिर आप समझ जाएगे, जो आपको क्या प
ना करिश्य वचनंतव, पहले था, तो बगवान उनको शासन किया, तुम लड़ाई आखेटे क्या दिल्लगी करते हो, जो हम लड़ाई नहीं करेंगे, यह कोई बद्र आदमी का बात आएगा, अनार्ज जुष्टा, यह कोई आर्ज का बात नहीं है, यह अनार्ज का बात ह
था, तो यह मन उनका था, क्या, यह बगवान बोल रहा है, तु लड़ाई का, वो कहते है, ना करिश्य वचनंतव, नहीं, तुम्हारा बात नहीं सुने, और भगवत गीता सुनके यह सिध्धान्त किया, करिश्य वचनंतव, वो ना उठ गया, वो ना नहीं है, नहीं करें�
तो यह चेंज होना चाहिए, तो जो वेक्ति यह चेंज होता है, जो भगवान जो भगवत गीता में बोल गया है, करिश्य वचनंतव, वो उसका गीता पाठ सपर गया है, और नहीं तो मूर्खरी रहा है,
तो सबके उचित है जो गीता पर करके बुद्धिमान हो जाए और कहें करिशे वचनांतना
बगवान किष्णा आप जो बोलना है वोई वाक्यम करें वैसे होगी
तो मैंने पहले बताया था कि प्रश्न के तुम करना है तब दिली प्राणी पात्मा परीप्राच ने नाश्चर गया है तहले आगे यहाँ निमिश कर जो
यह दो प्रश्ना है जो एक साथ मिलते हैं एक है बड़े था गुरू और दूसरा है इसके साथ मिलता है
भक्तिव इन प्रभय एक स कर दो तो मधि ऊपर � essar तरह चार है है मेरा ही होता है कि जो भगवान जो बताते
हैं उसको प्रचार कर ढार धो भगवान जो बताते हैं जो शर्म धर्मान-पृत्तैज्ञा वाला हम इंचनलोग समय है और गुरु का काम है
देखो जी
जी
सब धर्म छोड़करते कृष्ण का चरन में शरणागतर हो जाओं। बस वो गुरु है।
और नहीं तो सब चीता हैं। जे खुद कृष्ण बन जाता है, वो चीता है।
और जो बोलता है कृष्ण का चरन में शरणागतर हो जाओं, वो गुरु है।
बहुत एक फ़रख है। आप लोग उसको पढ़क कर लीजिए क्या बोलता है।
जब यह बोलता है, जब कृष्ण जैसे बताता है, मामी कंग सर्णंग में जो गुरु भी बोलता है, जो हो, देखो जी, कृष्ण का चरण में सर्णागता है।
कृष्ण साहिंग भगवान है, और उसका चरण में सर्णागता है। वो गुरु है।
और जो अनिसरण भक्ते हैं, वो गुरु नहीं है। यह बात है। दोनों बात से ही। देख लीजिए। हो गया है।
राम के नाम से नमः युगश्ण हाँ बुश्चिवते के ताके वश ने आस-दिर आउ, जब पक्षण फार्मान का रूपदिआत उदना शती भक्ते है
पहला जग महाँ भारत का रडाई हुआ। पहला जग मैं रमान में राम लावन के साथ हुआ।
टीसरा में टिष्णतरी का महा भरत होगा, और टीसरा में क्या होगा?
टीसरा में क्या होगा, अबी दूसरा में ही तो रहिये, कि दूसरा में जो भगमान करते हैं, उसको तो माल लीजिये, फिर तीसरे का वाग, खबर लीजिये।
अभी जो भगवान बोलता है सर्वधान्मान परित्तज्यमामिकंग शरणंग वज़ा, उसको तो ग्रहन कीजिये, फिर तिष्रदा पे क्या कहेंगे, तिष्रदा पे है, ये चैतर्न महापूर्व, वो करते हैं, हरे नाम, हरे नाम, हरे नाम एं बखेवलं, कलोग नास्ते वन
में केवल हरे नाम, हरे नाम, हरे नाम एं बखेवलं, ये सब कीजिये, तो आपको पुकार हो जाएगा, आप मुक्त हो जाएगे, सुकी हो जाएगे,
यह भगवान, ही ये सब, कैसी था पूर्व?
ये सब हम लोग नहीं जानते, हम लोग मुर्क है एक कृष्णा कोई जानते है और कुछ नहीं जानते, हम लोग ज्यादा विद्वान नहीं है,
हम लोग एक जानते है कृष्ण सुभ भगवान सायां बाश और सब छोड़ है
बहुत बदाओ और यार
बहुत बदाओ
अभिनाद्र
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥