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इसमें यह जो जब्बा, संकीत्र जब्बा, इसके दारा है बगवत्र शेदाः पुष्णमन्नम् तिशाः पुष्णम् शांगः पांगास्व भाग्षदम् जब्बें संकीत्र नहीं प्राज़ें व्यजन्ति हुश्वमेण
वैधि खास्ते में दो सब्ज को ही भेथा हैं
एक सुमेध्रशन और एक और्पमेद
मेधा का उपहोगता है ब्रेन सविस्टर्ण
ब्रेन सविस्टर्ण जादा होने से
वित्तुसरों
वित्तुसरों
बेत।
बेत।
बुद्धिमान होता है। और ब्रेन सबुष्टन कम होने से मूर्थ होता है, गदा होते हैं, कुछ दो शब्दा है, एक अल्प मेध हो सकता है और एक फुमेध हो सकता है।
भगवद्धिता में है, जो भगवान को छोड़ करते, आउट है, तितर देवता को जो पूजा करते हैं, तब भगवद्धि अल्प मेध हो सकता है।
ये अल्प मेधा है, जिसका ब्रेन सबुष्टन कम है।
के लिए दुर्गा पूजा किया है।
दुर्गा पूजा करने से भवतित लाभ होता है।
झणनम देवी, तुर्बपूति राज्जाम देवी, जक्षम देवी,
ये सं मिलता है। दुर्गा पूजा करने से ढंधिता है, युश्मिता है, रुबवति श्रीृत मिलती है।
यह शास्त्र में जो लिखा है यह अन्नाय नहीं ठीक लिखा है बाकि यह किसके लिए है उसके लिए है जो इसको मेधा कम है उसके लिए तद्भवती अर्गमेद हो साथ
तो मेरा चाम इसलिए है समझ दीजिए आपको गार में आये है बहुत खातिज आपका नहीं है आप जब जाएंगे आप जो पाँच हजार रुपिया भी दिया
तो यह सब्सक्राइब में दिया जिन गर का बाहर में लिकरने का पहले ही आपको जो कुछ दिया दिया
है सब छीजिए अभी गर में हम बैठे हैं आपको तो चंदर करके हमको पाँच हजार रुपिया दिया क्योंकि इस सब्सक्राइब में दिया कि घर का बाहर में जाओंगा यह सब रुपिया हम से छीजिए तो वो रुपिया अगर हम कृष्ण करें तो आपको मेरा चाहें क�
कि घर का बाहर जब जाने, तो सब छोड़ते है। तो ये लेकर हमारे क्या हो?
ये बुद्धिमान जो है, वो तो पाई ये सब उपयाम को ले की क्या हो?
अपने जब छेन जाओ दे, घर के बाहर जो जाने का समय हो, तो तो ही हमारे ये डेने का क्या जोगा?
जो लेता है वो अर्भुमें दशाई। इसी प्रकार अभी शरीर में हमको धोन, दवलत, पुत्तम, श्री, पुत्र, इत्यादी सब कुछ मिला है।
अगर तुम ये शरीर जब हम छोड़ेंगे, सब छिंदेंगे। मृत्तु सर्वहरष्च हम भगवान की ताले बढ़ाते हैं। मृत्तु का अर्थ क्या हो जाएंगे।
कि जो कुछ तुम्हारी संपर्ति है, जो कुछ बनाया है, वो सच छिंदेंगे, और मृत्तु सर्वहरष्च शरीर तुमको दिया जाएगा।
उदार ये साथ संपर्ति और धन्त और जति शायद, उदार तुम नहीं नहीं जाएगा।
वो तो तुम्हारा कर्म का उन्हें साथ जो शरीर भूलेगा, कुछ विप्रकार शरीर से तुमको भोग करने पड़ेगा ताकि।
इसलिए शास्त्यों में कहा है, भगवान खुद बता जाएगा।
ये जो सर्द्योता से मार जाया हमूलें, मैं भौतिक शम्पत्ति किसकी भी है, तद भगती अल्पमीर हाँ, अंतवत्तु फरंतेशाँ, तद भगती अल्पमीर हाँ।
यो ये जो सफ्फ़द है ये अंत हो जाए जाए सरी का साथ कुछ चीज तुम नहीं ले जा सके इसलिए ये चीज के लिए
जो लालाई था है उसको बताया जा और वो मेरा
और सुमेदशः उसको कार्च क्या है कि भगवां से संपर्च बनाकर दे
भगवां को समझ करके भगवां की सेवा में विजित्य हो करके जीवन सफर हो गया है
वो सुमेद बहुत अलग है उसका नाम है सुमेदशः
पुमेधास जो है वो सरीद संदे का बाद उसको बहुत लाब है क्या लाब है
तप्ता जिहन पुरर जन्म नहीं जाएगी वो सरीद छोड़ करके तीरी भवतिक सरीद जहन देखा
तो क्या होता है मामेति भगवान का पाई जाने होता है उसले जाने होता है
तो भगवान का पाई जाने के लिए भगवान पर जैसा सरीद है वो सरीद होता है चिन्दमा शरीद
तो इसलिए सब शास्त्र में एयी बताया है तुमारा अलतिंग अक्री घोल अप लाइफ है
वो विश्व, भगवान होा है शास्त्र में ये सभी बताया है
कि एक-एक जूद में कौन-कौन भगवान का जो हम उतार उसको पुजा करने, शेवा करने चाहिए।
कलिजुख में लिए यह बताया करिजुख में कि कृष्ण- वन्नम् कृष्ण आकृष्ण.
भगवान कृष्ण समय अवतार जर्म किया है जिसका सरीर का रंग हाँ कृष्ण, कृष्ण नहीं.
इसलिए कृष्ण अवतार न家य बगवान तो सरीर कृष्ण वन्नम् कर।
और कलिव्युग में जो भगवान का ओतार है कृष्ण ही है
बाकि उनका शरीर का जणन है आखृष्ण
तो आखृष्ण का आठ होता है
किकृष्ण नहीं है वो लाल भी हो सकता है सफेश भी हो सकता है
तो पिला भी हो सकता है
यह से भगवान का एक एक जूब में एक एक रंग होता है, वो गर्दुमुनी जब कृष्ण का कोष्ठी विचार कर रहा था, उस समय बताया, जी माराज, दंदमाराज, यह जो आपका पुत्र है, यह पहले शुक्र रक्त स्तथा पीत, इदानिं कृष्णतान बताया, यह आ�
रक्त वन्ना, सत्य जूब में, कभी शुक्र वन्ना, कभी पीत वन्ना, यह सब हो चुका है, अभी जो आपको, आपको पास
ये शुवर्णम, पीतवर्णम, इसलिए शास्त्र में कहते हैं कि कृष्णवर्णम दिशा अकृष्ण, कृष्ण ही है परन्तु शरीर का रंशे अकृष्ण है, पीतवर्णम, और शांगपांगास्त पार्शदम, उनको साथ में सब पार्शद लोग हैं,
जैसे हम लोग गीत गाते हैं, सी कृष्ण चैतन्य प्रवु निक्तानव्य, सी अद्वैत गराधार, शिवाशादी, गोवु भक्षदु।
तो यह सब पार्शद है, यह अपना एलेबिन प्रेंटो भागवत्में निशंबर्णन है, एक-एक दुप का भगवान का क्या बर्णों था, प्रेशन, शरीर का, पीतवर्ण था, यह सब बताएगा।
तो इकनिदुम्में बताता है, यह जो भगवान का रूप है, अकृष्ण और साथ-साथ में पार्शद, कृष्णभर्णं तिषाँ अकृष्णं सांग्वपांदासु पार्शदं।
यह जो भगवान का रूप है, जग्दही संकीतमं इतराधू. यजंति ये सुमेद है। यह सुमेद है।
ये जो भगवान का अवतार है, इनको जो मिधावान व्यक्ति है, जिसका ब्रेन चीख है,
ब्रेन सबस्क्राइब चीख है, वो संकीत और जगत द्वारा इंदुषिवाति कुछ रखते हैं।
प्लीद देखें, भगवान मूर्ति दिताएगो इन मूर्ति रखकर के, और ये जैसा भी संकीत्यम किया, ये जगत द्वारा है।
पुजा करने से ही, सेवा करने से ही, भगवान सेवा पूर्णा करने से ही, इतना सरव है।
जो चाहिदर्ण महाप्रू निताएगो और स्री कृष्ण चाहिदर्ण प्रभु नुक्तानंत पंच सक्तौं उनको तश्वीर राश्विली जिए और घर गृष्ठ सब दिखने में मेंमर है, ये कीतन की जिए अरे कृष्ण राश्व भगवान से राश्विली जिए।
ज्यादा कोई मुश्किन नहीं है, बिल्कुल मुश्किन, बहुत सरकार है। जिताएगो उनका तश्वीर राश्विली जिए और मेम्मर तो होता है यहाँ घर में, बार्कि जैसा ही रखी तर गया, ये कीजिए भगवान से राश्विली जिए।
ज्यादा ज्ञानज़क करने का कोई जरूरत है। अगर मंदीर करें, अन्दा करें। अभी मंदीर कर सकें तो की भी।
जिसका बार धन नहीं है। वो तो सब धन भगवान का सेवा में लगाए। पाकि जिसका में उसकुछ नहीं है, उनके लिए क्या मुश्किन है।
एक चैत्रण महाभुत्ता कश्विर्य करके और गर्धी जस्ति शब्बाय करके हरे कृष्ण, हरी कृष्ण कीत्रिम करें, तो उसमें क्या लक्षण होता है।
लगे भगवान को मिल जाए। इतना ही कार्ण से उसको भगवान को मिल जाए। काद्य। सुबिता।
अगर आप भगवान को कुछ दे सके, ला सके, भगवान तो बीप मांता भी आई नहीं, भुगार भी आई। हमारा है।
बागि भगवान को भक्ति से अगर कोई कुछ देता है तो वो वन खाता है
पत्तम पुष्टम फलम तोयं जोमी भक्ता प्रदेच्छती
तदहं भक्त्री उपरितम अस्रामि
प्रदेता आत्म
जो जो धनी है वो तो बहुत कुछ दे सकते है
परी जिसका बच कुछ है गरीम से गरीम
तो उनके लिए भी भगवान बहुते नहीं
कोई दुख्ती बात नहीं है
एक पत्ती लेओ
तो पत्ती बहुत मिल सकता है
और एक फूल लेओ
वो भी मिल सकता है
तो छोड़ सा पानी लेओ
गरीब से गरीब इसको संग्रह कर सकता है जब आपको बढ़ दिचे अमें आकर के कोई गरीब भक्ति वोध जमाहार दी
कि आपको एक फूल हम ले चाहूं तो एक भक्ति ज्यापडरो यहाँ जाम भगवान यहाँ ले जाओ ले जाओ तंकुर बोले
ऐसा कोई मुर्ख नहीं है कि बोलेगा नहीं
पैसे ऐसा मुर्ख भी है यह रख बाता है
अमेरिकन रख
उनका बगिचा में बहुत सब पेड़ है
और फल भी है
तो सब गिर गिर के जाएगा
वो सड जाएगा
वो भी ठीक है कोई जात मांगे तो नहीं
है तो भी नहीं, वो बोता यही सभा है, यह गिर के सड़ जाता है, सुब जाता है, यही सभा है, खायें, पत्रं पुष्टं फलं तोयं जोमी मक्का प्रदुष्ठ जी,
सब कोई संग्रह कर सकते हैं, और कहीं भी यह गोर्णिता एक पिक्चर रखकर के, जो भी होए, इसमें कोई एजुकेशन का जरूरत नहीं है,
हरे कृष्ण सारा दुनिया में बोलता है, उसको एबीसीदी सिखाया नहीं जाता, बदि बोलता है, सब्दे सुनते ही बोलता है,
और अभी बच्चे लोग इतारि नहीं शुरू दिया, इसमें कोई मुश्किन नहीं है, यह कलिजुद्धा साधन है,
जज्ञेइँ संकीत्र में इत्पावि जजन्ति, इसमें शुरू।
जो वेदावान हैं, भूतिवान होते हैं,
यह संकीत्र जज्ञेरा, और यह जो भवान का अवतार है,
शी-कृष्ण चाहित अन्तो, इनको � winding up, जो बै� 2 परोचन हो गई।
प्रत्याई संकृत और इत्तावित मिलेंगे इक्षा देवा।
प्रत्याई संकृत और इत्तावित मिलेंगे इक्षा देवा।
प्रत्याई संकृत और इत्तावित मिलेंगे इक्षा देवा।
प्रत्याई संकृत और इत्तावित मिलेंगे इक्षा देवा।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥