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कृष्ण प्रेम प्रदायते कृष्णायं कृष्ण चैतन्य नामिने गुरुत्ति सेनो
सीचैतन्य महाप्रभू सब अवतानों से स्रेष्ट अवतार
क्योंकि सायंग भवा कृष्णा सबको बोला
सर्वधर्मान परित्तर जिमावे कंद सर्णन बर्य
परन्तु लोग ठीक-ठीक गृहम नहीं किया
चैतन्य महाप्रभू कोई सायंग कृष्णा
इस तरह से भवान कृष्णा का चरण में
सर्णादत लोग हो सकेगा उसको शिखाने के लिए
फिर चैतन्य महाप्रभू रूप से आये
इसलिए
वो
रूपकुष्या ने
जब उनको प्रयार ने प्रथम
प्रथम नहीं धितिया दर्शन किया
वो समय
यही मंतर से उनको नमस्कार किया
नमः महाप्रभू राणाय
कृष्ण प्रेवः प्रदाय
एक तो कृष्ण को मिल समझना ही
बहुत मुश्किल है
इस पकार कृष्ण को तो समझना ही बहुत मुश्किल है
बाके चैकर्ण महाप्रभू
ऐसी खिपा में है
केवल कृष्ण को नहीं दिया
कृष्ण प्रेवः दिया
इसलिए
रूपकुष्या ने कहते हैं
नमः महावराण नवता
नमः महावराण नवता
सबसे दानी जवता है
आप ही है
क्योंकि आप कृष्ण प्रेवः दे रहे हैं
और
कृष्ण प्रेवः ही
पंचम पुरुषात
धर्मात काम मोक्ष
ये जो चार पुरुषात है
उसका उपर
भगवत प्रेवः
इसलिए
आप लोग समझानते हैं
भागवत में पहली
बताया जया
धर्मा फ्रोज्यता कोईता बात्या
कि
धर्मा सो
काम मोक्ष जाप
ये सब कोईता
इसका उपर जाने परेवः
उसका उपर जाया
मोक्ष का उपर भी
जो चिन है
वो भउगवत प्रेवः
मोक्ष का
इसका भगवत प्रेम है उसको समझ लिये मोक्ष हो गया बहुत दिन पहले इसलिए जो भगवत भक्त है वो मोक्ष के लिए करिलालायत नहीं है
मुक्ति मुकुलीता अंजली सेवते अस्माः बिल्लम महर ठावकर है जो मुक्ति के लिए मैं क्यों कोशिश करें वो तो हमारे दरव्यां में खरी है माराज आपके लिए क्या सदावा
तो इस भगवत भक्ति और विशेष करते कलिवियों में ये जो भगवत नाम
नाम अचिन्दामनि कृष्ण चैतन्न रशविग्रह पूर्ण सुध्ध नित्त मुक्त अभिन्नत्या दावनाश्पृत जैसे भगवान पूर्ण पूर्ण स्वपुर्णमादाय पूर्णमेव अवश्रिष्ठ देख
किसी प्रकार भगवान का नाम निपूर्ण कोई नाम से और नामी से भेद लेंगे कि शास्त्र सिद्धान्त है जब आपकांच जो लोगैं बताते हैं तो समय तो होगी आप भगवान
आरिति के समय है, आप लोग, इतना ही हम लोग प्रचार जो विषय है, सभी जगह ही हम लोग प्रचार करते हैं, कि नाम जपान है, कि पहले पहले जो अमेरिका अमिया को बहुत भारी हिस्ट्री है,
पहले, पहले हम इसको नहीं बताया कि तुमको यह छोड़ने पड़ेगा, यह करने पड़े, कौन सुनता है, नहीं, मतलब आओ, थोड़ा बैठो, नाम जिद्धम कर सकते हैं,
प्रतिशिष्यों सुभी किया था, एक वरस इधर उधर भटकते जाते थे, 1966, in the month of July, I registered this association,
दो चाल या केशब आते जाये, फिर एक नाम सुनते सुनते सुनते सुनते, एक टॉम्टिंशन स्क्वायर है, वो दी जाती नहीं है,
टॉम्टिंशन
सुनते सुनते
हाँ, बैकुदार चल जाते थे, और एक पेत तकले बात करके, बच खोल भी नहीं, कपना भी नहीं, ऐसी दुग्ड़गी बजार थे,
तो यह लक्षम हाने शुरू गया, फिर दाशने शुरू गया, फिर टाइम्स, नीयौक टाइम्स में
तर्बीय शुरू निकला हुए, किसी तरफ चार्वस्वास्वास्तें, फिर अब अब का वेस्ट केलिफोनियों आजा,
फिर कैनाडिया यहाँ इसी प्रतार आर्मुक्ति के पास है अभी प्रतिविगार सर्वत्र विशेष विशेष शहर में रन्डन, नियोर्ट और मॉस्को भी, टोकियो सब जगा में हमलों का सांस्थान है
यही नाम का विचार हो रहा है और यह जो कृताने है यह भी नाम कृतन है, केबल खोल करता से नाम कृतन नहीं होता है
भगवत नाम, जैसा सुगदेव उश्चाने कीतन जाता है, हववद बईयाश, सकी कीतन है
तो कीत्र का अर्थमता है जैसा भागवत का पाठ किया है शुब्दि गुष्चानी ये भी कीत्र है केवल खोल करता से कीत्र नहीं होता है और हमारा गुरुमाराज कहते थे ये जो कितावे है ये ब्रिहत मृद्धंग है ये ब्रिहत खोल है अब देखी ना खोल इदर बजा�
जाये तो एक और नाशिया और एक करण था सब शुब्दि गुरुमाराज नहीं होता है ये ब्रिहत मृद्धंग है, तो जो उस थरव हो हमलो का ये समान के आधर है तो ये भागवार की
की कृपा से वह बिर्दंग ब्रिहक बिर्दंग भजाने से हो तो आप लोग साहब कृपा करके आए तीन दो तकलीब किया इसलिए
धन्यवाद और आया कीजिए क्या तो आप लोगों चेतन महा को भी कहते हैं कि एकोला आमार नहीं पाए वह चेतन महा कहते हैं
आपके कहां तक क्या करेंगे आप लोग सब सहायोग कीजिए यह हमारे भी प्राथ्वना है यह तो रामों यह जो उद्दम हम लोग
रहे भगवान की नाम दुनिया में प्रचार कोई इसमें आप लोग सब किता करके सहायोग कीजिए इसमें कोई देशभाव और दृत्यभाव
नहीं होनी चाहिए है भगवान का नाम कीतन है यह तो हम भारत की संपक्ति है और छृचनक महाँ प्रुण भावबाशी शब्दो की
बोले सिया कि भारत भुमिते मविष्य जन्म है युल जात जन्मा सार्थ करी करो परोपकार परोपकार बादबास का कट्टम्ब है परोपकार तो ये परोपकार है क्योंकि कृष्ण
भुलिया जी विभोग बंच्य करे पासेते माया तारे जापोटिया नवरे कि कृष्ण को जो हम लोग भुल जाते हैं इसी में माया पकड़ लेती है तो जदी माया की हाथ से छुट्टी चाते है लेविध्ये सागुनमी मव माया दुरत्या मामे वजप्रपद्धनते माया मे
भगवान को शाक्षक तो होई सकता है उसको दर्शन करने के जो को आप चाहिए अन्डांतरस्थम परमान चयांतरस्थम तो सब जगह भगवान मौजूद है तो कृष्ण
जाएगा रिए हमारे इसे पीव मंदिर में भगवान है यहां से शुरू किया जाए यह नहीं है जो मंदिर अंतिस्था उड़ा दो भगवान समझा जाएगा
कि मैं यह बहुत नहीं जैसे-जैसे है भगवान खाचाजरों हमें को बताया है शिविग्रहारा धननित्तनारा सेंगारतन वंदिर्वाजरा यह सब जरूर है जरूर
है तो मंदिर आया कीजिए और घर बढ़कर इस अपने तरह कीजिए कोई कठीन नहीं है अरे कृष्णा अरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा
जरूर है अगर लाभ है थोड़ा पर करने चाहिए यह हम लोग का अनुराध है और तिपातार के माम कीजिए जो
पृथ्वी शुरू हो गई आप लोग प्रीपातार कहें इसलिए धन्यवाद थैंक यू वेब जाए झाल झाल झाल
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥