श्रील प्रभुपाद के हिंदी में प्रवचन  »  701220LE-SURAT--Hindi
 
 
 
हरि कथा
सूरत, 20-दिसंबर-1970
 
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एह, आपना समत्तर कर दिया है, ध्वार्म हैं, और सब ऐध्वार्म हैं, और सब ऐध्वार्म हैं, और पित्र बल्लते हैं, भगवान बल्ल Такit, इस ध्वार्म हैं, ध्यार्मान के साथ-साथ भगवत्तत्य,
भर्म को एक मनिश्य नहीं बना सकता है।
जैसा कानिन राजाई बना सकता है, ग�मन बना सकता है।
और गॉरमन का कानिन सज्ञाई मांता है।
इसी प्रकार धर्मा, धर्मैंति साथ-साथ भगवतमनिकम,
भगजानी धर्म बना सकता है।
अब ये धर्म मांना है।
और ये धन्म क्या चाहिए है? भगवान खुद बता रहा है कि सर्वधन्मान्परिक्तर्ज्यमानितं सर्वधन्में।
और सर्व जितने तुम धन्म बनाए हो इसको साथ छोड़ दो तो एक मात्रा हमारा चरण में सर्वधन्म तो हो जाए।
भगवत भक्ति, आज दिताता है भगवत भक्ति भीवी नहीं है, जादी जबच्चा तक किया, सर आपको बेच बिदाल्प का उद्देश्य ऐही है, जो मुँँस्य समाज के भगवत भक्ति से प्रन्यविक किया जाया।
समाज है, इसमें सुख है, आमल्य है, आदे जाके भी आमल्य है। यही हमारा वैवित प्रद्वति है।
इसलिए सुख्या consciousness नहीं मंज़ा है। यह ऐसी कई बनावा ब्लास नहीं है।
यह सास्त्रिय है। क्या नाम? असराई। भगवान कृष्ण का मुखारबंद से जैसे-जैसे बताया जिया है। इसी का प्रतिपालण करना कृष्ण का consciousness मंज़ान का एक मात्र उद्देश्य है।
बाति फिर का विषय है, जो भगवान जीता को ऐसे बहुत अश्रीर है।
क्या अपना मन राफिक उसका अर्थ लगा करके आदमी को दिपद गाने करें।
इसलिए हम लोग भगवान जीता, हम लोग भी छकाए हैं। भगवान जीता आज थी।
क्या ये मास्मिलन कंपनी, बहुत भारी प्रकाशन कंपनी है अनुरीका में, यंद्रम में।
ये कितार उनके दिया जा है। बहुत छपड़ा है, 50,000 प्रत्यक।
प्रति वरस में 50,000 छपड़ा है।
नाइटिन अनुर्शिक्ति होई तो शुद्धिया, शुद्धिक्या आज इसके विक्रे बहुत बढ़ रहे हैं।
तो आज थी। तो तू पर अरेंटरस्ट पुर्णा भगवान जीता आज थी।
भगवान जीता सम्मद्धार ये आज थी। भगवान जर कहा कहां...
ये ही तो भगवान भक्कि है। भगवान खुद है कहां...
मर्मना भगनस्वभात्त, हमारा भक्तमन, मद्यादी, हमारी पूजा करो,
मार्म नमस्तरो, हर तो नमस्तार करो,
आपको नमस्कार करो इसमें तुम्हारे जीवन का सुद्धी लाभ होगी और तुम्हारा मेश्च जीवन का उद्देश्च सफल होगा।
जीवन का सुद्धी लाभ होगा।
जीवन का सुद्धी लाभ होगा।
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जीवन का सुद्धी लाभ होगा।
उस कृष्ण का सचने जो मन था संखेद में आप पर सामने एक कृष्ण आप लोग के मिलेगन है कि भगवाद जुका ठीक ठीक से पढ़िये और घर में साब बच्चर से बाल बच्चर स्री पुरोष बंधू मिल करके कोई जंचरकारी आवस्थितता नहीं है
भगवाद के कितासे हाथ है ताली दे तरते और कान है सुन के गहिये हरे तिश्मा हरे तिश्मा तिश्मा पिश्मा हरे हरे
हरे राम राम राम राम राम राम राम हरे हरे
Thank you
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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