श्रील प्रभुपाद के हिंदी में प्रवचन  »  740213LE-VRNDAVAN-Hindi
 
 
 
हरि कथा
वृंदावन, 13-फरवरी-1974
 
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विश्णाव सद्यनों मात्रि विंजार। आप लोग इपातर के जो सम्मानित गया हैं, इसलिए मैं गेवो आता पात बद्वय में हभारी करूँ।
हमारी कोई विशय पर जंकता है नहीं, परन्तु भगवान की कृपा, गुरु विश्णाव की कृपा सम्मल करके मैं सत्तर वरस आगु में नियुक्त इंडियार्टिस्टेप्स अमेरिका सुदर्धायर्स है।
भगवान की प्रजाश, हमारा गुरु माराज जो की गोडियो वश्णव संप्रदाय के आचार्व, सीमा भक्तिशिद्धान्द सरस्यति भुषाम शोबाद की बहुती इश्चा थी कि पास्चात्र देश में सी चैतन्र महापूर्व की बाने,
अच्छी तरह से प्रचार हो। इस विषय में उनका प्रचत्न तो गंभी था। और हमारे गुरुभाई लोग भी प्रचत्न कर रहे थे, परन्तो विशेष सफलता प्राप्त नहीं हो।
प्रचत्न तो गंभी लोग भी प्रचत्न कर रहे थे, परन्तो विशेष सफलता प्रचत्न कर रहे थे।
प्रचत्न तो गंभी लोग भी प्रचत्न कर रहे थे, परन्तो विशेष सफलता प्रचत्न कर रहे थे।
प्रचत्न तो गंभी लोग भी प्रचत्न कर रहे थे, परन्तो विशेष सफलता प्रचत्न कर रहे थे।
प्रचत्न तो गंभी लोग भी प्रचत्न कर रहे थे, परन्तो विशेष सफलता प्रचत्न कर रहे थे।
प्रचत्न तो गंभी लोग भी प्रचत्न कर रहे थे, परन्तो विशेष सफलता प्रचत्न कर रहे थे।
प्रचत्न तो गंभी लोग भी प्रचत्न कर रहे थे, परन्तो विशेष सफलता प्रचत्न कर रहे थे।
तो ये भी एक भगवान चुपा है, फिर स्किन्दियास्तिम नेविगेशन कंपनी का जो प्रपाइटर, मैनेजिंग डिजेक्टर, सुमती, सुमती बार,
उनसे प्राथना के है तो वो अपना जो खास कमरा जहाज में होता है, पहले जहाज में ही दिया था, पैसा तो नहीं था एरोप्लेन जाने के लिए,
तो वो एक रिटार्ड टिकेट हमको दे जिया, फ्री, और कैप्टेन को विशेष करके कहे दिया, यह सामी जी का सब विशायम देखना,
तो कैप्टेन बिचारी, मिस्टर पांडिया, बहुत ही जद्म करके, विशेष करके, उनकी जो फत्मी, बहुत हमकर सद्धा से शेवा की थी जहाज में, उसमें भी बहुत तक्लिक हुआ,
और दो दिन तो मर जाने का ऐसे ही जागवार है, फिर बगवान चीज़ी का से, जैसे मालू हुआ की बगवान सांग्व फृष्णा जहाज को चला रहे हैं,
और हमको जरूर पहुंचा रहे हैं, तो किस प्रणा से मैं उधर गया था, उसका तो रहा है इतिहास,
संखेब मैं आपको बताया हूँ, नाइंटी नाइंडे ट्वेंटी टू, उस समय कलकत्र में एक भारी केमिकल लाबोरिटरी में मैंनेजर था, हमारा उस समय उमर था ज़्यादा से ज़्यादे चोविश पचीश, नव जोवार,
तो हमारे एक मित्र, हम तो बताया ज़्यादे, इधर एक गोड़ी अमाठ फुला है, सुनता है जी वो लोग, बड़े-बड़े साब बच्चनाव साधु दर्भ होते हैं, तो आप चली आमार.
तो हमारा उस समय जोवन थार, विशेष करके कॉंग्रेस का भक्त थाओ जी.
तो हमारा जन्म हुआ था वैश्णव फैमिली, हमारा पिताजी ही परंवैश्णव.
तो सुद्ध से हमारा वैश्णव तल्चरी था, परन्तो जैसा आजकल का लिखा परिश शिकने से,
जाजातर भगोत विद्धेशी हो जाते हैं, मिराकारवादी.
मैं भी थोड़ा दिन के लिए ऐसी हो गए.
फिर जाकर के, वो हमारा मित्र भक्तिशिद्धान्द सरशदी गोश्णामी प्रोवबार से मुझा ख़प्तर आया.
भक्तिशिद्धान्द सरशदी गोश्णामी पाहा, मुझे देखते हुए ही, यही बाते ही,
देखो जी, आप लोग ऐसे परेशुने नवजवान हैं, आप चहितन्य महापुर का विचार पास्चात्र देश में क्यों न प्रचार करें।
इसका उपड़ हमारा उनसे तकडार बातचीत हुई।
उस समय हम उनको जवाब दिया, जो आप, हम लोग पराधीम देश हैं, हमारा बात कौन सुनें।
तो गुरु माराज उस समय, पहली मुलागात उस समय, गुरु माराज जो वास्तविक संपर्त नहीं हुआ था, करण तो गुरु ही तो थे,
उनने आपको तकडार केखुँ अच्छी तरह से समझा दिया, मैं हर भी गया।
तो कह जाने, उनकी ठिपा, पहले ही उनकी यही बचन था, जो आप जाखर से पर्देश में यह क्रेदन महामुका विचार, भक्तिक ज्ञान, इसको प्रचार कीजिए।
फिर उनको आखिरी में, 1936 में, मुझे एक पत्र लिखा, उनका अंतरध्यान होने का 15 दिन पहले,
जो देखो जी, तुम अंग्रेजी में प्रचार करो। इसमें तुम्हारा मंगल होगा और जगत्ता होगा।
इसी प्रकार प्रेरुणा उनसे सब समय मिलता है।
वो बहुत दिलती जायते और कि अपनी अजजबता सा कारण, वो 1922 से, फिर 1965 था, हमको खाली आयोजव नहीं करने पड़ा।
मौकाँ नहीं मिलता। इसी कारण से। फिर भगवान जीती पासे, गुरुमाराज की आग्राः को अबलम्बन करके, नियूर्थ मोचा।
और उधर जैसा मताया कि हमारा पास केबल चालीस रुपिया था पचास नहीं चालीस रुपिया
और नियोर्क में कि दो दस डॉलर खर्च करना घंटा दो घंटे का बात है
और डॉलर का हिसाब हाई दो डॉलर हुआ तो समझ दीजिए आजकाल का हिसाब से बीज रुपिया
तो विशेश कोई सहाय नहीं था परंतु भवार की पिपा से उधर एक यागरा के हमारे एक मित्र उनको लिर्का था बटलार सार में
वो आकर के हमको ले गया दस पंदरारी रोज उनका घर में रहा वो अंग्रेज लड़की को साधी की थी बहुत सज्जन
फिर उसका बाद मैं नीवार्ट में नीवार्ट में एक कमरा लिया था पाशा नहीं था किता बिताब बेच करते कोई तरसे चला रहा था
वो भी सब चोरी हो जाओगा हमारा टाइप राइटर टेप रिकॉर्डर कुछ किताब ये सब चोरी होगी
मीयौर्ट में भी चोरी होता है यहने चोड सब जारा में होता है
तो बिलकुल हमारा सब चीज़ चोरी होगा
फिर हम
हमारा एक सेवक था, वो हमको ले गया अपना घर में, उदर कुछ दिन दागा, इसी प्रकार एक वरस्तप हमको महुत तकलीब उठाने को लागा, कभी इदर, कभी उदर कोई ठिकाना नहीं,
फिर जाता कि दो सब डॉलर हमारा पास मने से हम एक दुकान घर किराया गया, उदर स्चोर फान बोलता है, सो दुकान घर में लोजाना मिटिंग शुरू किया,
तीन, चार, पास, यही बालों लोग सब आते थे, बुद्धे कोई नहीं, वो देखो, बालों लोग, नजवार, बड़ा उशुख है, वो लोग कुछ चाते है, उनका फिता माता का शुरू दे करके, उनको निष्चित हो गया जिसमें शुरू कुछ हैं,
इसलिए आप लोग जानते हैं कि अमेरिका में बहुत से टीपी हो गया है, उन्होंने बड़े बड़े घर के लेट के आया है, पैसा वाला घर के लेट के आया है, बैकि वो चाते ही नहीं है उस लोगा,
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
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