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आदि पुरेशाम, आदि पुरेशाम, तमहाम, थमहाम, नजाम, नजाम
प्रवोर्ण के बाद सोंतनदार्म संदार्म अधराछल्वेल नियुजान 18th 1970 उत्तरश की धक्ष उदांतिक खरीमारापा आर साथ
गुगु राम आधृ जुर शाम सम्हान या य्यू गुगु राम आर्यिकृ ज्यान कम्हान या नाख्ली
कृपया प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या
प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या प्रत्या
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भेजंतं यंतं अरदिंद बलावताप्यं दरहावतं जमकिताँ बुदसिंद लांगरं
प्रंट थे और अफिश मान थे और के लिए कर दो ऑफिस्टेशन पूर्ण ऊया दोहफ्ल रखूर आती है
कि आज हम आज पुर्श करते हैं
लो kids
कर दो
बजामी रोखो रिजाम आदि पुर्णाम तबाहो बजामी आलो रकंद कलचद बनमाल बंशी रक्नां गदंशन यद्जेली तला दिलावतं
शामन दिभाव अलवितं यत अप्रताशं गोबिनाम आदि पुर्णाम तबाहो बजामी रोखो रिजाम आदि पुर्णाम तबाहो बजामी रोखो रिजाम
तबाहो बजामी रोखो रिजाम आदि पुर्णाम तबाहो बजामी रोखो रिजाम
वोबिन लंगार भी पुर्षम तमः भजामी वोबिन लंगार भी पुर्षम तमः भजामी वोबिन लंगार भी पुर्षम तमः भजामी
वोबिन लंगार भी पुर्षम तमः भजामी
अज्जैत यत्सुत्यनाध्यमं तरूपं आध्यं पुरान पुर्षं नवज्यो वलंज्यं देवेश जुदुल्यवर्दू लबलात्मभक्तो जोधिन्यम आधुपर्षं तामः भजावि
जोधिन्यम आधुपर्षं तामः भजावि
जोधिन्यम आधुपर्षं तामः भजावि
जोधिन्यम आधुपर्षं तामः भजावि
जल्शात कोति शतबत संप्रदंया
वायो रथाति मनसो मुहितुं लवा
सत्वत्य लप्त पदशीन लनविशीन तत्ते
गोबिन लमादे जरुषमी ताहन भजानी
गोबिन लमादे जरुषमी ताहन भजानी
गोबिन लमादे जरुषमी ताहन भजानी
गोबिन लमादे जरुषमी ताहन भजानी
गोश्शन तर्जना सुझरोग जुणां उन्द्रो जवक्पते
गोपित तापार्ता राभापार्त पजहास्पते
तत्तान संगोलामी
राधे दिल्ला वनेक्षरी गृखवान शिके देवी शणवरान अंधरिक्षिया
वन्शा कल्पतो उठ्धस्य तीता शंद्र भैवक्या पतिता नाम पावनें भो वृष्ण भृष्ण नाम ज्ञाना ज्ञाना
कित में मास के दावनार मुद्दा रचनना के अध्यत दावनार मुश्चु आता तैयार भूह दप्त ही कार्ह हरी पुषारे क्रिक्षण,
कृपयो कित कृपय, कृपयो कृपयो कृपयो रम, रम राम नाम राम जारे हैं
गोंड़ो पृष्ठभक्ति रखभाविता होती संघर। आंत्रराष्ट्रिय पृष्ठभक्ति रखभाविता होती संघर।
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गोबिन्नम आदि पर संताः भजानी गोबिन्नम आदि पर संताः भजानी
गोबिन्नम आदि पर संताः भजानी
गोबिन्नम आदि पर संताः भजानी
शिम्तामनी प्रकरष अज्मासु
कल्प बृत्थलक्षा अब्रितेश र भिल्लभी लुठुपाल.
भगवान गोबिल्ना स्री कृष्णा
उनको धान
शिम्तामन
प्राःतित धान नही है, अप्राःतित धान, चिम्टामनि, आप लोग सुने होगे, साथ नहीं आगे शिर्टामनि नहीं होता है
जो लोहा को सर्श करने के लोहा स्ओना हो जाता ही, सर्श मनि हो जाता है
जो था की मतलब जो धवान cd shadow की है बदलार।
जो भगवान का धाम है उदर जो मकाँ है, वो पथ्षर बागु का नहीं होता है सिन्ता मन्य।
सिन्ता मन्य जो पथ्षर है, और सिन्ता मन्य पथ्षर तोई जयसे फ़ोक से नहीं है।
यह इसी दिल ना कात्रש।
नहीं है, इसलिए नाम है चिन्ताम। उदार भर्वान का नाम, भर्वान का धाम, भर्वान का रूत, भर्वान का गोण, भर्वान का भयुकृत्य, सब चिन्वा, जड़वा नहीं, चिन्वा। सत्यितानन्य विद्रह। इस तरह पार्वा कृष्णा सत्यितानन्य विद्रह�
भर्वान, भर्वान का शरीर जैसे आनन्यमा और सीम मान ज्याणमा का नित्य कांह।
इसी प्रकार भर्वान का समसी भर्वान का नाम और भर्वान कोई स्वरम नहीं हटा।
जैसे भवबान का शत्ति है उसी प्रवार भवबान का नाम में दिया है उसी प्रवार शत्ति है
चेतन महवी कहते है
जैसे भवबान का नाम में दिया है
जैसे महवान सभी शत्ति मान है
इसी प्रवार भवबान का नाम सभी शत्ति मान
और भवबान का नाम भी हैं जैसे जैसे भिश्मो शहस्ति नाम है
तो सब नाम हैं
भवबान की शत्ति सब उसमें अकșित है
नाम नाम पारी बहुदा
यह शर्वशत्ति
और
वो नाम स्मरण करने के लिए कोई नियमितात मनन काल है।
कि इस काल में, इस momento में भगबान का नाम करना है ने।
कोई नियमितात मनन काल है।
भगबान का नाम स्मरण करने के लिए
कोई काला काल भिचाय नहीं हो।
धावर्षक जो भगबान का विशार कोद्रिपी की है विकार काल विकार के से गदरली मांबलारक्तिस्थ होती है
कि दुपर्ण के भौगा रश्त्री शाम तो लख रश्त्ती जैसे काल का विशार है इसके प्रतार काल विशार फॉर वाक्र भ्रा tried
ऐसे हिस्मरन करने में हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण
हरीनाम हरीनाम हरीनाम हरीनाम
इस मरण के लिए आपके कोई बिक्कत नहीं है
कोई स्वर्श नहीं है
कोई लख्षार नहीं है
देखिये
ये एट्वीरोफियान अलेकर
ये जो नज़वान
जो पिथल है आपको सामने
संखमे
नाम के जो माला है
खेल है
है इसको कोई यह जाना नहीं है कि हम एरोपियन है हम पिछन का नाम चाहिए आप रिप्लेट ने जब भगवान में प्रेम हो जाता है
उसको यह बाद यह ज्यादा नहीं जाता है जो आज हमारा ओपर हटे गए यह अचिवाएं यह सब विचार नहीं जाता है
यह भगवान का प्रेम का लक्ष्ण है बगबद भक्त क्रेम से अभीर होकर के बादल कर हो जाता है
उसको भगबद का तो विचार नहीं जाता है तो यह भगबद की शक्ति है इसलिए उत्तरहन महा पुताते है
नाम में भगवान की सब शक्ति निहुत है। तो आप जब शुद्ध नाम ले तो आपको भगवान के करण से सब शक्तियों का दारा आग्रक्षित रहें।
आपको माया का कोई दर नही। भगवान श्राम भगवान जीता न का चाहता है है मानु जयत प्रवज्ज़वान तहीं मायां निसार्थडंश।
जब आप माया का हाथ से बतने चाहते हैं, तो सब समय हरे कृष्ण, हरे विकृष्ण, कृष्ण, कृष्ण, हरे हरे, हरे राम, हरे राम, राम, राम, हरे।
आप मेरे सैतन महाप्रिताते हैं, एता दृष्ट एता वक्ति का भगवान महा की भर्मा एक ही तुपाना है, जो कलिजू का, जो मनुष्क है, उसको अभवति देख करके, उनको एक मात्रा उपाय बताय दिया है,
भरे राम, हरे राम, हरे राम, एता दृष्ट एता वक्ति का भर्मा एक ही तुपाना है, एता दृष्ट एता वक्ति का भगवान महा की भर्मा एक ही तुपाना है, जो कलिजू का भर्मा एक ही तुपाना है,
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शिपा है तभी नाम में हमारी रिशी नहीं है ऐसी हम भृद्धाग्रह है। तो जो शास्वरुद्धा जाता है अहरतो शपशकोटि गर्यान जद्दिद्धाग्रे नाम तुझ्धम।
जिसका जिभाग्रह है। भगवा का नाम अस्� sure बहुत बहुत होता है। वो गर्यान है। शपशकोटि उत्तर गर्यान का धर में जर्ण होते। वो गर्यान पूज्ञ है। वो गर्यान का मतलब है पुज्जण्य।
तो यह जो कृष्णभक्ति रस्वाद इतामति हम आंतर राष्टियों कृष्णभक्ति रस्वाद की सारा दुनिया में यह नाम को प्रशार कर रहे हैं।
और आप लोग को अभी क्या कहें जिसका खास शहदोत्ता है।
प्राण रक्ष जिवावा का बगवान की महिमा प्रशार करने के लिए तो इतामत जन्म साफल्यं देहि नाम यदि जुद।
मनुष्य जिवान में यह एक मात्र पत्तब्भ है प्राण रक्ष जिवावा का सेवाशर्णां शराव।
प्राण आपका बुद्धि वधन से भवान की सेवाशर्णां शराव।
तो आप लगते हैं निर्णियन हैं जो यह जो बहुत बहुत लोग आये हैं, आप तो यह 4 लाख रुज़िया रक्षिति खरीच कर किया है।
इतना फर्च कर किया है।
यहाँ जाते हैं यह आप लोग भी यह संशीर्चन जर्द में सर्थाव्योग करें और यह जो उपादि दृष्ट हमारा पुरितय है
मैं अनेविकान हो, मैं भारतिय हो, मैं जापानी हो, मैं हिंदू हो, मैं इंसल्मान हो
यह सब भूल जाये, भूल जाता के सब कोई एक चिंतर कीजिए, मैं भगवान का नोगा है
जिवेर शरूप भाई जिसका कुछ नहीं आप, जब इस सब समय हम लोग एक चिंतर करें
जो मैं भगवान का आप जात है, तो इसे हम मुक्त पूरूप है, भृत्यु का अच्छा कुछ नहीं, जो उनका शरूप है, उसको उपलद करना है यह भृत्यु है
जो भगवान का अच्छा कुछ नहीं आप, जो उनका शरूप है, जो उनका शरूप है, जो उपलद करना है यह भृत्यु है
इसके लिए चेतनम आपको कहते है, कैत दश्पन महाजनम भर महाजाबाद मुख्ता
दुनियानों में जो कुछ धैर्वा धंजा है, वो साथ एक मात्रा के हरिकीतम का ही समाना हो सकता है, इसमें आप लोग साथ भाव लोग चीजिए, Thank you very much, Thank you.
आये विश्वास, वो आये विश्वास, वो आये विश्वास,
आये ओरा, आये ओरा, आये ओरा, आये ओरा, आये ओरा,
धन्यवाद
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥