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मया सक्त मनाख भाता, योगं यंजन मदाशया, असंचयं समग्रंगमाम, यताग्यास यसीतच्विनू
यताग्यास यसीतच्विनू
इधर में ही सब्बस्त हो गए, उधर कोई ज्ञाने, तो थोड़ा सोचा कि, बला, मैं ही गुड़ापे में थोड़ा चेष्टा करूँ, उस समय हमारा सत्तर वर्ष उमर था, 1965,
तो उधर गिया, नी यौर्ट में,
और जहाज में बैठ-बैठ के सोच रहा था, जो भगवान इधर, क्यों भेजा, मैं तो जब उनको वैश्णव सदाचार का विशय बोलूँगा, उसी समय ये लोग कहा गया, महाराज, आप इधर से चले जये।
क्यों कि सदाचार बिना तो वैश्णव होता नहीं।
जद्धभी भगवान कहा है, अपितेशुदुराचार। इसका लक्षण है, जो सदाचार जरूर होना चाहिए वैश्णव के लिए।
सर्वई गुणई तत्त समासतेशुराः। वैश्णव का सब देवता का गुण होना चाहिए।
भगवत भक्त का यही लक्षण है। तो सदाचार पालन।
श्रील विष्णा चक्कवत्ति ठाकुर एक जगह बताया है कि असदाचारी वैश्णव को वैश्णव है। इस इसाप से उनको धन्दवत करना जरूर है।
वैकि उनसे ज्यादा मिलना जुल्या नहीं। यह मना किया। तो सदाचार वैश्णव के लिए बहुत ही जरूरी है।
तो हमारा विदय में तो यही था। पहले तो इनको यही बात बताया जाएगा जो आप लोग सदाचारी होई है।
चार प्रकार के जो पाप है इसको छोड़ दीजिये। यह कि भगवान कहते है कि जस्या अन्तकतं पापं जेशाम अन्तकतं पापं जनानाम पुण्यकर्मं।
वगवान की सेवा में दिरब्रत होकर जे सेवा में निजुक्त होना यह साधारन नहीं है
जे साम अंतगतं पापं जो पाप का अज्ञेशेव बिल्कुल निविर्त होगिया है उसके लिए भगवत सेवा सम्मागा है
और नहीं तो एक भी समझना चाहिए कि जो भगवत सेवा में निजुक्त है वो सदाचारी है वो यह एक मात्र सदाचारी है
अगर जद्धपि बाहरी कुछ अभ्यास से सुधुराचार मालूम भी होता है भगवान उनके लिए कहते हैं अपीते सुधुराचार
बजते माम अनन्नभार तो विदेश में जा करके नी यौर्क में विशेष करके एक पार्क जिसका नाम है टॉम किंज सनस्वय
तो उधर जाकर मैं कीर्तन शुरू किया एक पेर का तरह में बढ़के हरे कृष्ण हरे कृष्ण बच एक डुगडुगी लेकर उधर मिर्दंग भी नहीं था
तो ये सब बालक लोग आने शुरू किया और इधर वो बालक अभी उपस्थित है
जो के जिसका नाम अभी है बर्मानन्नन्द्रश्वामी ये पहले आकर के नाचात है
ये बालक और भी एक बालक उसको नाम है अभी अच्छुतानन्द्रश्वामी वो अभी हैदराबाद में खुब प्रचार कर रहा है
तो आस्तास्ते ये भगवत कीर्तन की प्रभाव से
चेत दर्पनमार्जनम भव महादावागनि निटवापनम
चेतन महापृति बानी है
परंग विजयते श्री कृष्ण संखीर्तनम
बगवान की कीर्तन
कीर्तना देव कृष्ण समुक्त संग परंग वरजे
सुग्देव गोश्चायमी की बानी है
कली जुग में अनेक दोष है
ये दोष की निधी है
कलोग दोष निधी राजन
अस्ती जीक महान गुण
एक महा गुण है
वो जे कीतना देव कृष्ण समुक्त संग परंग वरजे
केवल मात्र बगवान की नाम
तर्नाम ग्रहना देवी
ये बगवान धक्ति शुरू हती है
तर्नाम ग्रहना देवी
तो इसका फल वास्तवे
ये रोप अमेरिका में प्रत्तक्ष हुआ है
कीतन करते करते करते
आदुर्शद्याततो शादु संग
फिर आगे बर्के आया
और
सिश्यम
मांगा
मैंने उनको बोला जो देखो भाई
हमारा सिश्य होने के लिए
तुमको चार चीज छोड़नी चाहिए
एक तो अवैद स्त्री संग छोड़नी चाहिए
इनका देश में
लड़का लेड़की साब
ऐसी रहते हैं
बिना विभाँ
कुछ दिन रहा छोड़ दिया और किसी को पगड़ लिया
ऐसी चलते है
एज फ्रेंड्स
तो
हमारा जो सिश्य होते है
उसको ये नहीं चलेता
तुम किसी को लड़की को चाते हो
लड़का को चाते हो
तुम साधी करो
साधी करके बद्ध भाव से रहो
ये लोग मान लिया, बहु माई साधी करा दिया, उनको सब बच्चे जो हुए हैं, उनको लिए स्कूल खोल दिया गुरु को, तो एक जेनरेशन चेंज हो रहा है, वैश्णप जेनरेशन, ये तूटने वाला नहीं है, हम तो बयब्रिद्ध हुआ है,
अभी अटाक्तर बरुष है, हो सकता कभी भी चला जाओंगा, बैकि हमारा विश्वास है, ये लोग चलाएंगे, ये उदर नस्ट मड़े वाला नहीं जाएंगे,
तो उनके यही सिखाया जाता है, कि भगवान में आशक्ति बढ़ाओंगे, जो कि भगवान स्वयंग बताते हैं,
महिया शक्तमना प्रार्थ जोगं जुन्जन मदाश्र, भगवान का आश्राय ले करके, और ये भक्ति जोग को अभ्यास करो,
वो भक्ति जोग क्या है? जो कि भगवान में आशक्ति बढ़ाओंगा, बदली
आशक्ति हम लोगकों सभी का है किसी का घर में है, किसी का दौरत में है,
किसी का देश में है, किसी का बाल बच्चे में है,
हैं और किसी का कुछ नहीं है तो कम से कम पास चाहते देश में यह कुछ दिखा जाता है कि किसका बिल्ली को
है तो कुट्टा में आशकती है तो आशकती तो जरूर हमारा है यह आशकति फिरा करके भगवान में लगाना चाहिए
यही भगवत भक्ति है
बगबान खुद बता रहा है
कि सबसमाय हमारा चिंतन करो
मन मना
हमारा भक्त बन जाओ
मन मना भवमद भक्त
मद जाजे हमारा पूजा करो
और हमको नमस्कार करो
जो किया आप लोग का बिरिंदामन में ही पृत्वा है
सबसमाय आप लोग भगवान का नाम जपा करते हैं
मन मना
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण, हरे हरे
हरे राम, हरे राम, राम, राम, हरे हरे
तो इस सब्द का साथ-साथ ही
भगवान का चरण में मन लिन हो जाता है।
घोष्ट्रायमी लोग शिखाये। यह सब आचार लोग शिखाये। चयतर्न महापरुख्ष शिखाये।
हरे नाम, यह केवल हम कलो नास्ते, विवनास्ते वे घदर न था।
कोई मुश्किल नहीं है, भगवान में
आशक्ति बढ़ानी, कोई मुश्किल नहीं है
बिशेश कहा के कलिजुगों में
केवल भगवान का नाम चेहित
है, ये फुराना चेहित है
तन्नामक ग्रहनादेजी
भक्ति शुरू हती हैँ
बगवान की नाम गृहन के लिए, तो ये बगवान में आशक्ति बढ़ाने के लिए, इनको हरी नाम जब करने को बताया गया है, तो सबसमाएं जब करते हैं लोग, जहां तक होए, आप लोग देखा ही है, सबसमाएं नाम की मालाएं उसका चलता है,
हरी कुष्ण, हरी कुष्ण, कुष्ण, कुष्ण, हरे, हरे, मन्मेनाभवमन भक्त, और जो नाम को जब करेगा, तो भक्त होई जाएगा,
नाम चिंतामनी कृष्ण चेहितन्न रशविग्रह भगवान और भगवान का नाम कोई भिन्न नहीं है अभिन्नत्या नाम नाम है
चिंतामनी नाम है स्वयंग भगवान है नाम चिंतामनी कृष्ण चेहितन्न रशविग्रह रश का विग्रह है
रशु वैशः जैसे भगवान स्यांग कृष्ण चंद्र सब रश का आधार है दादस रश का आधार है
रुपगुष्शामी भक्ती रशामृत सिंदु में बताया अखील रशामृत सिंदु
तो भगवान रशविग्रह है सब आनंद भगवान नहीं है
भगवान से जिसका संपर्त है वो आनंदमय अभ्यासात
अभ्यास से केबल भगवान से संपर्त रखने से ही वो आनंदमय हो जाते है
भगवान का सुरूप है आनंदमय और हम लोग भगवान का अंस है इसलिए हम लोग भी आनंदमय है
क्योंकि भगवान को हम लोग छोड़ दिया है इसलिए निरानन देते हैं और कुछ फिर अगर भगवान को चरण को हम लोग पकड़ लेते हैं फिर आनन्द में हो जाएगी
दायीविज्येषा गुणमईमृ माया दुरत्तया मामेवजः- प्रभधन्ते मायामेताांखतरन्ते। भगवान सच्चिदानन्द विग्रह है
और भगबान का अन्स है जी वो भी सच्चिदानन्द विग्रह है
बाकि अनु होने का कारण भगबान विभू और हम लोग अनु
अनु होने का कारण जैसा अग्नी का स्फुलंग बहुत छोटे होने का कारण कभी कभी बुझ जाती है
और फिर उसको वो अग्निकना जो अंगार है उसको आग में दे दीजिए तो फिर वो प्रिजलित हो जाती है
इसी प्रकार हम लोग जब दुनिया को भोग करने को चाता है
जैसा जगदानन्द पंडित बताया है
कृष्ण भुलिया जीव भोगवान चा करे पासेते माया तारे जापटिया धोरे
जब हम लोग भोग करने को चाते हैं वो ही माया है और कुछ नहीं है
बेना हम लोग भोगता नहीं है भोगता भगवान भोगता अरम जग्गत अवसाम सर्वलोक महस्साम
यह बात जब हम लोग भुल ले जाते हैं जियो भगवान भोगता है और हम लोग चाए भगवान की भोग की
सामुग्रही उनको देने के लिए हमारा काम है जैसे गोपी लोग करते हैं सबसे माया भगवान को भोग
के लिए प्रस्तुत सब बृद्धामन बाश्य बृद्धामन बाश्य का यही काम है जो भोगता भगवान और भगवान को भोग
के लिए सबस्वय सेवा करने के लिए तैयार यह बृद्धामन बाश्य तो बिना आशक्ति से क्यों भगवान सभी चाहते
भी मार्वा ध्व हो बोल चोड़ देता है इसे पितामाता अपना भोग छोड़ देता है अपना बालवक तो प्रतिपालन करने के
लिए शाह भारत को कोशा प्रेम पेमी जो है वह अपना प्रेमी को सुही करने के लिए अपना होसे तरह दुनिया में
बात नहीं हो सकती है परन्तु पर जगत में अप्राखित भूमिका में ये संभव है दुनिया में जो है कोई अपना भोग को छोड़ नहीं सकता
बाके वैकुंट जगत में उसमें भोगता एक मात्री भगवान है और सब भोग्या है जीव भी उदर जो जीव है वो सब भगवान की सेवा के लिए तैयार है
कोई चीज इधर शिखाया जाता है हमारा विश्णप पद्धति में जो भगवान की सेवा में सब कोई निजिक्त रहो
अगซ़र भगवानी यह शक्त अध्याय में एक बताया है मीया शक्त माना प्रार्थ द्योगम जिन्यन ओ दास वह जोर है चुटि तो
वो भगवान का आश्राय लेने से ही हो सके। या भगवान को भक्त का आश्राय। भगवान और भगवान का भक्त से कोई अंतर नहीं है।
गुरु का काम है कि सबको भगवत भक्ति में लगाएं।
जद्धवि गुरु को भगवान के इसे सम्मान दिया जाता है। देना भी चाहिए।
क्योंकि गुरु जो है।
भगवान का तरस से सम्माण ग्रहन करते हैं, बाकि वो सब सम्माण भगवान को देता हैं अपने के लिए नहीं।
इसलिए जैसा कोई मेनेजर है, वो रुपया पासा जो कौछ फ़दा करते हैं मालिक के लिए।
इसी प्रकार भगवत भक्त जो है उनको जो किस दिया जाता है संबान, अर्थ, और कुछ
वो जो भगवान का पास पहुंचता है
इसलिए साधु, गुरु, वैश्णप, शेवा के लिए शास्त्र में विधिया
कि उनको जो कुछ दिया जाता है, वो भगवान को ही दिया जाता है, तो भगवान सयम कहते हैं मदास्र, भगवत भक्त का आस्र, जदी शाक्षात भगवान का आस्राय नहीं होता,
शाक्षात भगवान का आस्राय हो भी नहीं सकता, तद्विज्ञाना अर्थनुषा गुरुमेवा विगयच्य, भगवान को जो आस्राय में है, इस प्रकार भक्त का आस्राय ग्रह्म करने से ही भगवान का आस्राय होती था, डाइडेक्ट नहीं हो सकती,
दूसरा आश्रय लेके भक्ति जोग पालना चाहिए
ये भगवान आवरे ज़य एवं परंपरा प्राप्तमि मंग राजर सयोधित
भगवत भक्ति भगवान भगवान का नाम भगवान का गोन
भगवान की लिला भगवान की बैशुष्ट
यह सब समलने के लिए वो परंपरा सुत्र से ग्रहं करना चाहिए
इसलिए हमारा विश्णव समाज में चार संप्रधाय है
बर्म संप्रधाय, रुद्र संप्रधाय, कुमार संप्रधाय
और लक्षमी जी का श्री संप्रधाय
आप लोग श्री जी का जो है कुमार संप्रदाय, निम्बार्ख संप्रदाय
तो संप्रदाय वहीना जी मंत्रास्ति विफलामता
कोई भी संप्रदाय का आश्रय लेने से वो मद अश्रय हुआ
वो भगवान का आश्रय हुआ
चार संप्रदाय के भीतर कोई भी आचार जो को आप आश्रय लीजिए
वो भगवत घप्ती शिखाएंगे
भगवान में किस तरह से आश्रक्ति बढ़ती है वो ही शिखाएंगे
उनका और कुछ काम नहीं है
इसलिए भगवान कहते हैं
ये मैयाशक्त मना
जदी भगवान में आश्रक्ति आप लोग बढ़ाने चाते हैं
मन को भगवान का आश्रक्ति में
सबई मना कृष्णपदार मिन्दय
जैसे अमुरैश महाराज किया था
महाराज होते हुए भी
सब समाय भगवान का चरण में
मन को लगा रखा था
ऐसे हमलोग को ही कम से काम
उनको अनुगमन करना चाहें
अनुकरन नहीं
अनुगमन
का जहां तक होए
क्योंकि बरे बरे महाजन जो है
आचार जो है उनको अनुकरन हमलोग नहीं कर सकते
अनुगमन कर सकते
यह आचार जो है
महाजन जेन गतस्यपन था
महाजन लोग जैसे जैसे रस्ता बताएं हैं उसको हम लोग अगर अनुगमन करें तो हमारा उपकार है
और सुगदेव गोश्चा में बताएं कीरात हुनांदर पुरिंद्र पुर्पशा आभीर सुम्भा जवना खसादाएं
जवन भी होए और खसादाएं भगवान सायंग भी बताएं जिन्ने चो पापा
मानि पार्थ ब्रपात सुरित्य जीपीशु पापजोना जीव तो पापी नहीं है
जीतो भगवान का अंसा है पवित्र है बकि संगस्रा से उनको पाप पुन्ण का विचार आ गिया है
असल में पुरुष जो है अयंग पुरुष असंग बेति बानी है जो उनका कोई संगस्रव नहीं है
अभी अज्ञान से मया से संगस्रव है एक मुहुर्त में वो संगस्रव नस्ट हो सकता है
मामी वजब प्रपद्धनते माया मीतां अगर कोई दिल से भगवान से प्रार्थना करें
जो भगवान इतना दिन जन्म जन्मां तक आपको भुले हुए थे
अब मालूम होता है आभी हमारा स्वामी है आपको चरण में मैं अपना जीवन को समत्पन कर रहा हूँ
उसी वगव तो सब पाप से निर्मुक्त हो जाते हैं
जदी बास्तविक और ना पाप करें
यह नहीं अभी भगवान का चरण में आश्चर लिया पाप तो जरूर मुक्त हो गया
और फिर में पाप करें वो ठीक हो जैसे जगाय माला एक उध्धर गया था चैतन्य महाप्रुबो
वो बहुत पाप काम करते थे
परन्तु चैतन्य महाप्रुबो इतना इस सर्थ किया
ज़िया आज से पाप काम नहीं करो फिर तुमारा सब हम गरंग कर लें
तीसी प्रगार भगवान भी कहते हैं
कि सर्वधर्मान परित्तज्य मामेकं सरनं ब्रजा अहंग त्वा सर्वपाप इव्वमो खुश्यान
जदी हम लोग मन प्राण से बास्तविक भगवान का चरण में सरनागत हो जाता हूँ
तुबिर भगवान तो समर्थ है वो हमारा जो पाप का जो फल है
जो भगवत भक्त जो है उनको कर्मा सब निर्धान कर दिए
तिसलिए भगवान में आशक्ति बढ़ानी चाहिए
और भगवान को जो भक्त है उनको आश्रे लेना चाहिए
और भगवत भक्ती जोग जो है
ये श्रवन की तन से ही शुरू होती है
असल चीज है श्रवन
जैसे आप लोग ये मंदिने रोजान आते हैं
और भगवान के विशाय श्रवन करते हैं
ये बहुत ही ज़रूरी है
ये चैतन वहापु विशी को ग्रहन के आश्था
अपना अपना स्थान में रहो
स्थान परिवर्तन करने के कोई ज़रूरत नहीं है
ब्रामन है ब्रामन रहो
छत्री है छत्री रहो
बाईशा है बाईशा रहो
शुद्र है शुद्र रहो
ब्रह्मचारी है ब्रह्मचारी रहो
ग्रिहस्ता है ग्रिहस्त रहो
भानपृत्ताय सन्या से अपना अपना स्थान में स्थित रहो, अपना अपना काम करो, साथ-साथ में भगबान का विषय सुनते रहो।
इसलिए स्रवन कीर्तन बहुत ही जरूरत है और इसका फल भी हो रहा है
उदारन सब आप लोग सब देख रहा है कि ये सब अमेरिकन बासी योरोपियन बासी
ये सबन कीर्तन करते ही करते ही बड़े बड़े भक्त बन रहा है और प्रचारी खुब हो रहा है
इंडिया इंडिया से इनका प्रचार बहुत जोड़ है इंडिया का बाहर आप लोग जानते हैं हमारा कम सकाम एक समंदिर है
सारा दुनिया में खाली अमेरिका में ही पचास मंदिर है यूरोप में है कोई 15-20 इसी प्रकार जापान में है
ओस्टिलिया में है न्यूजिलेंड में है सब जगा में है और सब राधा किष्णमूर्ति सा पुजन हो रहा है
बड़ा सदाचार से ये लोग सब धुर्बशन छोड़ दिया है ये भी चा भी नहीं पीते है वो बीडी भी नहीं चुके है
और मदिरा मांस का बात तो छोड़ी दिज़िए
चौय ऐसी सदाचार है और अबई दो स्ती संगं नहीं करते है और जुआ नहीं खेलते है
किसी प्रकार मादक दुर्ब ग्रहन नहीं करते है और बिलकुल भगवत प्रसाद के बल ग्रहन करते है
और बान साथी का बात छोड़ दीजिए
तो इसी प्रकार सदाचार से
हर एक जागा में
कभी आप लोग आईएगा
तो देखिएगा
आप इस सब तीर्ट करने बिरिंदामन में आते हैं
उदर अमेरिका में
एक नया बिरिंदामन है
न्यू बिरिंदामन है
वो ओइस्ट भार्जिनिया में
हम लोग पचास
पांचो एकार जगा लिया है
उदर गोपालन हो रहा है
और अभी फिलहार
हम लोग का कम सकाम
रोजाना पांचो पाउंड
दूद अदा होता है गाई से
बड़ा आनंदर से वो लोग है
ये सब सिखाया जाता है
और ये सिखने के लिए
वो लोग प्रस्तूत है
इधर से हम लोग को
बहुत सादु
संत को जाना चाहिए
ये चीज समझाना चाहिए
इसका मार्केट बहुत है
हम तो अकेले ही इतना किया है
अगर आप लोग सब आईएगा
तो साब सारा दुनिया आबश्णव हो जाएगा
आप लोग थोड़ा सा पाकिस्थान के लिए रो रहा है
सब हिंदुस्तान हो जाएगा
तो आप लोग तो कोई आती ही नहीं है
हम क्या करें
अकेले जहां तक हो रहा है
आप लोग आशिदबात कीजिए
आगे आवर बढ़ाएंगे
धन्यवाद
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥