श्रील प्रभुपाद के हिंदी में प्रवचन  »  720118LE-JAIPUR_Hindi
 
 
 
हरि कथा
जयपुर, 18-जनवरी-1972
 
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कि मुझकार उसको जिमाग में गुचता है नहीं इसलिए वह निराकार करने का बुद्धि उसको कम है ना
वह समझ नहीं पाता इसलिए भगवान कहते है मनोष्चानाम शाहस्देशु कश्चीत जतति शिद्ध
कि जधताम भी सीध्यार वो शिक्रियाप यह विभी वह समझते रहें धेवना जब्जू नाम हुआ था बड़ा मुश्किल इसलिए
समय भगवां आकार के ह्रम्जार कि अ है तो बगबां की कृपा होने से सब समझने आता है नहीं तो
साधारान सिद्धि लाभ करने से भी कुछ नहीं समझ पाया। जैसे ब्रह्म संग्यताय पन्थास्त्र कोटी सतवत्स संप्रगम्म बायु रथापि मनसु मुनि पुंगवाना।
बड़े बड़े मुनि पुंग शाधाराण मुनि नहीं, मुनि स्रेष्ट, पुंगव, पुंगवान सेष्ट कहा जाता है, बहुत भारी, वो भी भगवान को समझ नहीं पाया। बिना भगवान की कृपा, भगवान को कोई नहीं समझ पाया।
और जगह में भगवान को बताया, भक्त्यामाम अभिजान, वो समझन का उपाय, यही भक्ति है, और नहीं, ज्ञान नहीं, कर्म नहीं, जोग नहीं, यह सब पद्धती से कोई भगवान को समझ नहीं पाए, इसलिए भगवान कहते है, मनुष्टानाम सहस्य, शुकस्ति जतती
और कुछ मैजिक दिखा दें, यह सब आप कर सकते हैं, जोग शिद्धी से, लेकिन उसके द्वारा भगवान को नहीं समझ पाएं, यह संभाव है, आप ज्ञान का बहुत बड़े-बड़े बात कर सकते हैं, यह ब्रह्म है, यह ब्रह्म नहीं है, लेकिन उसके द्वारा भ�
है, आंदलोन है, इतना सरल यह जो भगवान कृष्ण को समझ गया, और उसको चरण में आत्मसमत्पन कर दिया, इसका कारण है, यह भगवान की कृपा, वो जो भगवान चैतन्य महापुर रूप से आकर के सब को कृष्ण भक्ति, कृष्ण प्रेर दे रहा है, यह चैतन्य
क्षितन्न, प्रवु नित्तानन्द, स्री अध्यत कदाधार, शिवाशादी, गोवु भक्त यह है, इनको नमस्कार करके, फिर जगए, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण, हरे, हरे, हरे राम, हरे राम, राम, राम, हरे, हरे, हरे, यह मंत्र मंत्र जपा जाय
कारण कीजिए तो भगवार वह तो फी आते हैं जहां को लेवो भगवार कृष्ण आर्कर के प्रतुषामद्धि करना है आप monitors
आपने हैं दें लेने को हमारा मिला मिला दीव हो और तुम भी तरंतर करके हमारा साल को राखाल बालक हो करके
हमारा साथ खेल सकते हो,
गोपी बन करके हमारा साथ
आनंद ले सकते हो,
और हमारा मा भी बन सकते हो,
हमारा बाब भी बन सकते हो,
हमारा मित्र भी बन सकते हो,
हमारा गाई भी बन सकते हो,
जो चायत हो,
उसी तरह से आओ हमारा साथ,
इसलिए भगवान आते हैं और लीला पकट करके हम लोग को दिखाते हैं और चैतन महापृरु कहते हैं अगर कुछ भी नहीं समझ दे हो तो केवल भगवान का नाम गुनहन करें
थे केवल हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरेरे हरेराम हरेराम राम राम हरे कि इसको जपा करो एक
भगवान बहुत सस्ता कीमत हो गया की कली जुग में, जैसा कली जोह महा पाप जुग है, तो महा पाप जुग होते विवे भगवान भी आपने को बहुत सस्ता करने है, तो तुमको जोग, जाग, ध्याग, धारणा, कुछ नहीं करने परेगा, बन में नहीं जाने परेगा, ज
नाम जबा करो। भगवान की कृपा से एक दिन तुम्हारा भाग्य सुपर्शन्न हो जाएगा और भगवान का दर्शन हो जाएगा।
यह सास्त्र का मिली है। इसलिए यह जो आप लोग देखते हैं, जब लक्ष्य, जमन, सब भष्ण हो गया।
यह चैतृनमहा-पुर की कृपा से। चैतृनमहा-पुर की ऐसी कृपा है, चैत्रणमहा-पुरुष्ञ कृष्ण है, कृष्ण सबको बताया।
सर्वधन्मान प्रदित्तर्यमान एकँं सर्णमज्य। सब छो रो, सब जुटा धर्मे सब छो रो।
कि एक मात्र जासर धर्म है धर्मन तो शाक्षाद भगवत प्रनिव उसको ग्रहम कर इधर-इधर बात में क्यों फच्च
बगबान खुद कहते हैं जर आप यह जो दूसरे देवता को बजन करता है उसको बुद्धी नाश्ट हो गया उसको बुद्धी
नाश्ट हो गया काम अस्ते से हीतक ज्ञाना जजनते अन्न देवता और दूसरे देवता को दूसरे देवता कोई अपमान करना नहीं
है बाकि भजन्य वश्चुजय है वह भगबान एक्षम इसलिए भगबान कहते हैं सर्वधर्मान परित्तर्य माम एक्षम और नहीं
ये नहीं समझे थोड़ा इसको भी भक्ति कर ले उसको भी भक्ति कर ले उसको भी पूजा कर ले जहां से जो कुछ मिल जा
ये इसमे एकाग्रता नहीं होता है एकाट भाप से भजन करना चाहे भजते माम अनन्न भाप और मन दुसरे में ने
यह चीज इनको सिखाया जाता देखिए एकाद्र भाव से केवल कृष्ण में मन का अत्पन कर दिया और कितना जल्दी इसका काम हो
आप लोग थब देख सकते हैं तमन शानां साथ से शुकर्चि जतती शिद्धहे जततामपी शिद्ध्यान
यह जो भगवान को नहीं समझ सकते हैं बाकि भगवान खुद चेतन रूप आ करके अपना व्यभार से देखा रहा है
कि किस तरह से भगवान को तुम प्राप्त कर सकोई यह चेतन महाविकार कुछ काम नहीं था केवल कीतन करने के
चाहिए शंकीतन ही कपितरों वह शंकीतन का पिता है चेतन महाविकार और सपल भी है सब जागा में देखिए जहां जहां
शंकीतन हो रहा है बहुत जल्दी अभी हमारा एफ्रिका में नायोबे में बहुत उस्सव होगा यह 26 तारिक से
24 जानवारी से और 30 31 जानवारी तक बहुत भारी उस्सव होगा और मैं उधर जा रहा हूं हमारा अधिक सब जा रहा है
तो सारा दुनिया में ग्रहन कर रहे हैं क्यों इस चेतन महापुर की कृपा है क्योंकि यह शंकीतन का माध्धम से परवण विजयते
श्री कृष्ण शंकीतन और चेतन महापुर आशिर्बाद किया है चेत दर्पर्ण मार्जनम भमु महाला बागने निर्पापन स्रिया कैरव चंद्र का वितरनम दिद्यावति जीवन आनंदाम प्रतिवर्धनम प्रतिपदम पूर्णाम्रितास्वादन सर्वात्मस्वपन
सर्वात्म पूर्णाम्रितास्वपन सर्वात्म
इतना सरल से भगवान को मिल सकता है
वो उसमें नहीं जाएं
इदर उदर बात सब लें
इसलिए मंदभाग्य
बात सिविक मंदभाग्य
देखिए चैतन महापुर कहते है
ये मंदभाग्य को भी सर
नाम नाम तारी बहुदा निज़ सर्व सक्ती
भगवान चैतन महापुर कहते है
अनेक भगवान के जो शक्तियां है सब उसमें है और नियमित स्मरनेन काल अगर पूजा पाठ करना है तो उसका बहुत
नियम है और नाम जब करने के लिए कोई नियम है कहीं भी किस समय किसी अवस्था में कोई देश में कोई व्यक्ति
नाम ग्रहन कर सकता है नियमित स्मरनेन काल इतादिशी तब कृपा भगवर्म मापि तो कहते हैं भगवान इकली जुद्ध के लिए
आप इतना कृपा किये हैं
दुद्धवै इद्रिशों यहाँ जनिनारो आगा
परन्तो हमारा दुद्धभाग्य ऐसा है
जो नाम गरहन करने में
हमारी रूची नहीं है
इतना सदर उपाय है
भगवान को लाब करने के लिए
उसमें हमारे रूची नहीं है
और इधर उधर बात में
और सार
बाकचा शुर्ज में
जो देखो जि तुम भगवान है मैं भगवान है
भगवान कहां ढोरते हो भगवान राष्टर राष्टर
गुंग �, गुंग रहा है
और भगवान मर गया है इत्यादी इत्यादी
कि आप हम भगवान होकर आए हैं हमको गुरहन करो यह सब भोकाबाजी में आदि सफर जाएंगे और जो सरल उपाय जो केवल
मात्र भगवान का नाम गुरहन करने से भगवान को मिल सकेगा शास्त्र मिद्देश अनुसार बड़े-बड़े आचार्यों का
दिव उसको हम लोग रहने यह सब दुर्बुद्धि छोड़ छोड़ करके एकांत भारत से भगवान का नाम गुरहन कीजिए देखिए
कितना जल्दी भगवान का अनुभव होता है और आगे जाकर तो कितना जल्दी भगवान का दर्शन होता है थैंक यू बेरी बाद प्रेगिशन
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
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