स तु विप्रेण संवादं ज्ञापकेन समाचरन् ।
त्यक्त्वा कलेवरं योगी स तेनावाप यत् परम् ॥ १० ॥
अनुवाद
महान एवं विद्वान ब्राह्मण वसिष्ठ जी के साथ परम सत्य विषयक वार्तालाप के बाद उनके द्वारा उपदेश दिये जाने पर महाराज इक्ष्वाकु विरक्त हो गए। उन्होंने योगी के नियमों का पालन करते हुए भौतिक शरीर त्यागने के बाद परम सिद्धि प्राप्त की।