श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 3: सुकन्या तथा च्यवन मुनि का विवाह  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  9.3.11 
 
 
कस्यचित् त्वथ कालस्य नासत्यावाश्रमागतौ ।
तौ पूजयित्वा प्रोवाच वयो मे दत्तमीश्वरौ ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  इसके बाद कुछ समय बीतने पर स्वर्गलोक के वैद्य दोनों अश्विनीकुमार च्यवन मुनि के आश्रम आये। उनका सत्कार करने के बाद च्यवन मुनि ने उनसे यौवन प्रदान करने की प्रार्थना की क्योंकि वे ऐसा कर सकते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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