श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 21: भरत का वंश  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  9.21.2 
 
 
गुरुश्च रन्तिदेवश्च सङ्‍कृते: पाण्डुनन्दन ।
रन्तिदेवस्य महिमा इहामुत्र च गीयते ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  हे महाराज परीक्षित, हे पाण्डुवंशी, संकृति के दो पुत्र थे- गुरु और रन्तिदेव। रन्तिदेव इस लोक तथा परलोक दोनों में ही विख्यात हैं। उनकी महिमा का गुणगान न केवल मानव जाति में बल्कि देव लोक में भी होता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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