श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 21: भरत का वंश  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  9.21.11 
 
 
तस्य तां करुणां वाचं निशम्य विपुलश्रमाम् ।
कृपया भृशसन्तप्त इदमाहामृतं वच: ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  गरीब, थके हुए चाण्डाल के दयनीय शब्दों को सुनकर महाराज रंतिदेव ने दुखी होकर इस प्रकार के अमृत जैसे वचन कहे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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