श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 9: मुक्ति » अध्याय 20: पूरु का वंश » श्लोक 10 |
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| | श्लोक 9.20.10  | |  | | तद्दर्शनप्रमुदित: सन्निवृत्तपरिश्रम: ।
पप्रच्छ कामसन्तप्त: प्रहसञ्श्लक्ष्णया गिरा ॥ १० ॥ | | अनुवाद | | उस मनोरम नारी को देख राजा अति प्रसन्न हुआ और शिकार की थकान एकदम दूर हो गई। निस्सन्देह काम-वासना से आकर्षित होकर उसने हँसी-हँसी में उससे ये बात कही। | |
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