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श्रीमद् भागवतम
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अध्याय 18: राजा ययाति को यौवन की पुन:प्राप्ति
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श्लोक 10
श्लोक
9.18.10
शर्मिष्ठाजानती वासो गुरुपुत्र्या: समव्ययत् ।
स्वीयं मत्वा प्रकुपिता देवयानीदमब्रवीत् ॥ १० ॥
अनुवाद
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शर्मिष्ठा ने अनजाने में देवयानी के वस्त्र पहन लिए, जिससे देवयानी क्रोधित हो गई और इस प्रकार बोली।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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