श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 15: भगवान् का योद्धा अवतार, परशुराम  »  श्लोक 2-3
 
 
श्लोक  9.15.2-3 
 
 
श्रुतायोर्वसुमान् पुत्र: सत्यायोश्च श्रुतञ्जय: ।
रयस्य सुत एकश्च जयस्य तनयोऽमित: ॥ २ ॥
भीमस्तु विजयस्याथ काञ्चनो होत्रकस्तत: ।
तस्य जह्नु: सुतो गङ्गां गण्डूषीकृत्य योऽपिबत् ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  श्रुतायु के पुत्र का नाम वसुमान था, सत्यायु के पुत्र का नाम श्रुतञ्जय था, रय का पुत्र एक था, जय का पुत्र अमित था और विजय के पुत्र का नाम भीम था। भीम का पुत्र काञ्चन था, काञ्चन का पुत्र होत्रक था और होत्रक के पुत्र का नाम जह्नु था, जिसने गंगा का सारा पानी एक ही घूँट में पी लिया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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