श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 14: पुरुरवा का उर्वशी पर मोहित होना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  9.14.20 
 
 
उर्वश्युवाच
कस्यास्त्वयि न सज्जेत मनो द‍ृष्टिश्च सुन्दर ।
यदङ्गान्तरमासाद्य च्यवते ह रिरंसया ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  उर्वशी ने उत्तर दिया: हे सुंदरतम पुरुष, ऐसी कौन सी स्त्री होगी जिसका मन और आँखें आपकी ओर आकर्षित न हों? यदि कोई स्त्री आपकी छाती का सहारा लेती है, तो वह आपके साथ यौन संबंध बनाने से इनकार नहीं कर सकती।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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