श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 11: भगवान् रामचन्द्र का विश्व पर राज्य करना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  9.11.5 
 
 
ते तु ब्राह्मणदेवस्य वात्सल्यं वीक्ष्य संस्तुतम् ।
प्रीता: क्लिन्नधियस्तस्मै प्रत्यर्प्येदं बभाषिरे ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  यज्ञ के विभिन्न कार्यों में लगे सभी ब्राह्मण भगवान रामचन्द्र से अत्यधिक प्रसन्न थे क्योंकि वे ब्राह्मणों के प्रति अत्यन्त वत्सल एवं अनुकूल थे। अतः उन्होंने पिघले हुए हृदय से उनसे प्राप्त सारी संपत्ति उन्हें वापस कर दी और इस प्रकार बोले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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