श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 11: भगवान् रामचन्द्र का विश्व पर राज्य करना  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  9.11.3 
 
 
आचार्याय ददौ शेषां यावती भूस्तदन्तरा ।
मन्यमान इदं कृत्‍स्‍नं ब्राह्मणोऽर्हति नि:स्पृह: ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात्, यह विचार करके कि चूँकि ब्राह्मणों की कोई भौतिक इच्छाएँ नहीं होती हैं इसलिए उन्हें ही पूरे जगत का स्वामी होना चाहिए, भगवान रामचंद्र ने पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के बीच की भूमि आचार्य को सौंप दी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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