श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 10: परम भगवान् रामचन्द्र की लीलाएँ  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  9.10.3 
 
 
तस्यानुचरितं राजन्नृषिभिस्तत्त्वदर्शिभि: ।
श्रुतं हि वर्णितं भूरि त्वया सीतापतेर्मुहु: ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन परीक्षित, भगवान रामचंद्र के अलौकिक कृत्यों का वर्णन उन ऋषियों ने किया है, जिन्होंने सच्चाई को देखा है। चूँकि आपने सीतापति रामचंद्र के बारे में बार-बार सुना है, इसलिए मैं इन कृत्यों का वर्णन संक्षेप में ही करूँगा। कृपया सुनिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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