श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 1: राजा सुद्युम्न का स्त्री बनना  »  श्लोक 38-39
 
 
श्लोक  9.1.38-39 
 
 
तुष्टस्तस्मै स भगवानृषये प्रियमावहन् ।
स्वां च वाचमृतां कुर्वन्निदमाह विशाम्पते ॥ ३८ ॥
मासं पुमान् स भविता मासं स्री तव गोत्रज: ।
इत्थं व्यवस्थया कामं सुद्युम्नोऽवतु मेदिनीम् ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजा परीक्षित, शिवजी वशिष्ठ पर प्रसन्न हो गए। अतएव उन्हें खुश करने और पार्वती को दिए अपने वचन की रक्षा करने के उद्देश्य से शिवजी ने उस संत पुरुष से कहा, “तुम्हारा शिष्य सुद्युम्न एक महीने के लिए पुरुष होगा और अगले महीने के लिए स्त्री होगा। इस प्रकार वह इच्छानुसार जगत पर शासन कर सकेगा।”
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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