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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 9: मुक्ति
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अध्याय 1: राजा सुद्युम्न का स्त्री बनना
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श्लोक 10
श्लोक
9.1.10
मरीचिर्मनसस्तस्य जज्ञे तस्यापि कश्यप: ।
दाक्षायण्यां ततोऽदित्यां विवस्वानभवत् सुत: ॥ १० ॥
अनुवाद
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ब्रह्माजी के विचारों से मरीचि ने जन्म लिया और मरीचि के वीर्य से तथा दक्ष के महाराज कन्या आदिति के गर्भ से कश्यप ने जन्म लिया। कश्यप से अदिति के गर्भ से विवस्वान ने जन्म लिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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