वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
»
अध्याय 3: गजेन्द्र की समर्पण-स्तुति
»
श्लोक 11
श्लोक
8.3.11
सत्त्वेन प्रतिलभ्याय नैष्कर्म्येण विपश्चिता ।
नम: कैवल्यनाथाय निर्वाणसुखसंविदे ॥ ११ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
अनुभव करते हैं तत्व साधक, भक्तियोग में कर्मरत।
अकलुषित सुख के दाता वो, हर्षित करते भरत।
दिव्यलोक के स्वामी वो, निशदिन रखते धरा संभाल।
अतएव मेरा शत-शत नमन, स्तुति करूँ मैं सत्काल।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.