श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 23: देवताओं को स्वर्गलोक की पुनर्प्राप्ति  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  8.23.4 
 
 
एवमिन्द्राय भगवान् प्रत्यानीय त्रिविष्टपम् ।
पूरयित्वादिते: काममशासत् सकलं जगत् ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार इन्द्र को स्वर्गलोक का स्वामित्व सौंपकर और देवताओं की माता अदिति की इच्छा पूरी करके परमेश्वर ने ब्रह्मांड का संचालन करना शुरू किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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