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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 18: भगवान् वामनदेव : वामन अवतार
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श्लोक 7
श्लोक
8.18.7
शङ्खदुन्दुभयो नेदुर्मृदङ्गपणवानका: ।
चित्रवादित्रतूर्याणां निर्घोषस्तुमुलोऽभवत् ॥ ७ ॥
अनुवाद
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शंख, ढोल, मृदंग, पणव और आनक स्वर में बजने लगे। इनके साथ ही अन्य कई वाद्ययंत्रों की ध्वनि से अत्यधिक शोर हो रहा था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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