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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 17: भगवान् को अदिति का पुत्र बनना स्वीकार
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श्लोक 1
श्लोक
8.17.1
श्रीशुक उवाच
इत्युक्ता सादिती राजन्स्वभर्त्रा कश्यपेन वै ।
अन्वतिष्ठद् व्रतमिदं द्वादशाहमतन्द्रिता ॥ १ ॥
अनुवाद
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शुकदेव गोस्वामी ने कहा: हे राजन्! इस प्रकार अपने पति कश्यप मुनि से सलाह पाने के बाद अदिति ने बिना काहिली किए उनके निर्देशों का दृढ़तापूर्वक पालन किया और पयोव्रत नामक अनुष्ठान क्रिया का समापन किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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