श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 15: बलि महाराज द्वारा स्वर्गलोक पर विजय  »  श्लोक 1-2
 
 
श्लोक  8.15.1-2 
 
 
श्रीराजोवाच
बले: पदत्रयं भूमे: कस्माद्धरिरयाचत ।
भूतेश्वर: कृपणवल्ल‍ब्धार्थोऽपि बबन्ध तम् ॥ १ ॥
एतद् वेदितुमिच्छामो महत्कौतूहलं हि न: ।
याच्ञेश्वरस्य पूर्णस्य बन्धनं चाप्यनागस: ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  महाराज परीक्षित ने पूछा : भगवान् सबके स्वामी हैं। फिर भी उन्होंने एक गरीब व्यक्ति की तरह बलि महाराज से तीन पग भूमि क्यों मांगी? और जब उन्हें मनचाहा दान मिल गया, तो फिर उन्होंने बलि महाराज को बंदी क्यों बना दिया? मैं इन विरोधाभासों के रहस्य को जानने के लिए बेहद उत्सुक हूं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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