श्रीभगवानुवाच
नैकान्तिनो मे मयि जात्विहाशिष
आशासतेऽमुत्र च ये भवद्विधा: ।
तथापि मन्वन्तरमेतदत्र
दैत्येश्वराणामनुभुङ्क्ष्व भोगान् ॥ ११ ॥
अनुवाद
भगवान् ने कहा: हे प्रह्लाद, तुम जैसे भक्त कभी न तो इस जन्म में और न ही अगले जन्म में किसी भी तरह के भौतिक ऐश्वर्य की कामना नहीं करते। पर मैं तुम्हें आदेश देता हूँ कि तुम इस भौतिक संसार में दैत्यों के राजा के रूप में उनके ऐश्वर्य का भोग करो, जब तक कि मनु की अवधि समाप्त न हो जाए।