श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 6: मनुष्य के लिए विहित कार्य  »  अध्याय 5: प्रजापति दक्ष द्वारा नारद मुनि को शाप  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  6.5.2 
 
 
अपृथग्धर्मशीलास्ते सर्वे दाक्षायणा नृप ।
पित्रा प्रोक्ता: प्रजासर्गे प्रतीचीं प्रययुर्दिशम् ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन्! प्रजापति दक्ष के समस्त पुत्र समान रूप से बहुत विनम्र व अपने पिता की आज्ञा का पालन करने वाले थे। जब उनके पिता ने उन्हें संतानोत्पत्ति करने का आदेश दिया तो सब पश्चिम दिशा की ओर चले गये।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.