चूँकि मैंने भक्तों की संगति में भगवान् के पवित्र नाम का केवल कीर्तन किया है, इसलिए मेरा हृदय अब शुद्ध हो रहा है। इसीलिए अब मैं भौतिक इन्द्रियों के झूठे आकर्षणों का शिकार नहीं बनूँगा। चूँकि अब मैं परम सत्य में स्थित हो चुका हूँ, इसलिए इसके बाद मैं शरीर के साथ अपनी पहचान नहीं रखूँगा। मैं "मैं" और "मेरा" के झूठे विचारों को त्यागकर अपना मन कृष्ण के चरणकमलों में स्थिर करूँगा।